देश बिजली संकट के कगार पर खड़ा है। कोयले की कमी के कारण प्रदेश में बिजली संकट गहराने लगा है। कोयले की आपूर्ति रुकने से तापीय इकाइयों के बंद होने का सिलसिला जारी है। शहरों में तो जैसे-तैसे बिजली आपूर्ति पटरी पर रखने की कोशिश की जा रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का शिड्यूल गड़बड़ा गया है। तहसील मुख्यालय से लेकर गांवों तक आपात कटौती की जा रही है। फिलहाल हालात में सुधार के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं।
दिनोंदिन बिगड़ रहे हालात को देखते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सरकार से बिजली के इंतजाम के लिए आर्थिक पैकेज का एलान करने की मांग की है। कोयले की कमी के कारण निजी क्षेत्र की ललितपुर परियोजना की एक और इकाई बंद करनी पड़ी है।
बिजलीघरों में कोयले की कमी के कारण 2400 मेगावाट से ज्यादा क्षमता की आठ इकाइयां बंद करनी पड़ी हैं। इसमें निजी और संयुक्त क्षेत्र की चार तथा राज्य उत्पादन निगम की चार इकाइयां हैं। जो इकाइयां चल रही हैं उन्हें भी कम क्षमता पर चलाया जा रहा है ताकि उत्पादन पूरी तरह ठप न हो। त्योहारी सीजन में बिजली की मांग में इजाफा हो रहा है जबकि बिजली की उपलब्धता में कमी हो गई है।
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सभी स्रोतों को मिलाकर बिजली की कुल उपलब्धता 15000-16000 मेगावाट तक पहुंच रही है जबकि प्रतिबंधित मांग 17000-18000 मेगावाट है। मांग और उपलब्धता में 1500-2000 मेगावाट का अंतर होने की वजह से बिजली आपूर्ति का शिड्यूल अस्त-व्यस्त हो गया है। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के शिड्यूल में पांच से छह घंटे की कटौती की जा रही है।
अभियंताओं का कहना है कि शासन और पावर कार्पोरेशन के आला अधिकारी कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने के लिए लगातार केंद्र से संपर्क बनाए हुए हैं लेकिन जल्द हालात सुधरने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। अगले तीन-चार दिन में स्थिति और बिगड़ सकती है क्योंकि बिजलीघरों में कोयले का स्टॉक नहीं बचा है। पावर कार्पोरेशन केअध्यक्ष एम. देवराज का कहना है कि कोयले की कमी के कारण समस्या है। कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र को पत्र भी भेजा गया है। बिजली आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था की जा रही है। जल्द हालात सामान्य होने की उम्मीद है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश में बढ़ रहे बिजली संकट को देखते हुए राज्य सरकार से पावर कार्पोरेशन के लिए आर्थिक पैकेज घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपात स्थिति में 7 प्रति यूनिट तक की बिजली खरीदी जा रही है। इससे ज्यादा कीमत पर बिजली खरीद पर रोक है। पैसे की कमी के कारण पावर कार्पोरेशन चाहते हुए महंगी बिजली नहीं खरीद सकता है।
दुर्भाग्य की बात यह भी है इस संकट के दौर में एनर्जी एक्सचेंज 9 रुपये से लेकर 20 रुपये यूनिट तक बिजली बेच रहा है। केंद्र सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए। जल्द से जल्द सरकार को पावर कार्पोरेशन को आर्थिक पैकेज देना चाहिए कोयले और बिजली की खरीद में कठिनाई न हो। इस संकट को इसलिए भी गंभीरता से लेने की जरुरत है क्योंकि दुर्गापूजा, दशहरा व दिवाली जैसे त्योहार नजदीक हैं।