सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का बेहद खास महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पालन किये जाने वाले प्रदोष व्रत के बारे मान्यता है कि महादेव अपने भक्त के जीवन की समस्त समस्याओं का निवारण कर उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं। और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। वहीं इस साल के पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो चुकी है। आइये जानते है पितृ पक्ष का प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) किस तारीख को रखा जाएगा।
रवि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 47 मिनट पर शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी ऐसे में पितृ पक्ष का प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रविवार, 29 सितंबर को रखा जाएगा। इस तारीख को रविवार का दिन होने के कारण इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा।
शुभ मुहूर्त
इस व्रत के लिए पूजा का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल ही होता है। ऐसे में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल 06 बजकर 09 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 34 मिनट तक है। इस समय में साधक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
भगवान भोलेनाथ का अभिषेक
रवि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) में भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके लिए चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध और गंगाजल का इस्तेमाल करें। भगवान शिव को साबूदाने की खीर का भोग लगाएं। इसे श्रद्धा से अर्पित करें।