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शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद नहीं करना चाहिए ग्रहण, जानें इसके पीछे की मान्यता

Ganga Dussehra

shivling

हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि पूजा-पाठ के बाद प्रसाद अवश्य ग्रहण करना चाहिए। प्रसाद ग्रहण करना बहुत शुभ होता है। प्रसाद ग्रहण करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग (Shivling) पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण नहीं किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण क्यों नहीं किया करना चाहिए। और इसके पीछे क्या कारण है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के एक गण हैं, जिनका नाम चंदेश्वर है। चंदेश्वर भूत-प्रेतों के प्रधान भी माने जाते हैं। शिवलिंग (Shivling) पर जो प्रसाद चढ़ाया जाता है वो इन्हीं चंदेश्वर को समर्पित होता है। इस वजह से शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद में नकारात्मकता आ जाती है। इसलिए मिट्टी, पत्थर या फिरी चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

मूर्ति पर चढ़ाया गया प्रसाद किया जा सकता है ग्रहण

हालांकि चांदी, पीतल और तांबे के शिवलिंग (Shivling) के प्रसाद को ग्रहण किया जा सकता है। चांदी, पीतल और तांबे के शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करने से कोई नुकसान नहीं होता। साथ ही शिव जी की मूर्ति पर चढ़ाया गया प्रसाद खाया जा सकता है। ये प्रसाद शुभ होता है। मान्यता है कि भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ा प्रसाद खाने से पाप नष्ट हो जाते हैं।

प्रसाद को नदी में कर देना चाहिए प्रवाहित

मिट्टी, पत्थर या फिर चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग (Shivling) पर चढ़ाए गए प्रसाद को किसी बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता। लोग कई बार घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन करते हैं उस पर प्रसाद भी चढ़ाते हैं। मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग पर जो प्रसाद चढ़ाया जाता है उसको भी ग्रहण करने से बचना चाहिए। मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को भी बहती नदी के जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।

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