• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

महाकुम्भ महात्म्य: 1400 वर्षों से चीनियों की पहली पसंद रहा है प्रयागराज

Writer D by Writer D
24/12/2024
in Mahakumbh 2025, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज, राजनीति
0
Prayagraj has been the first choice of the Chinese for 1400 years

Prayagraj has been the first choice of the Chinese for 1400 years

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

महाकुम्भनगर: प्रयागराज (Prayagraj) तकरीबन 1400 वर्ष से चीनियों की पहली पसंद है। इसका स्पष्ट उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनत्सांग ने भी अपनी पुस्तक में किया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत से चीन और आसपास के देश खासे आकर्षित होते रहे हैं। इसीलिए प्राचीन काल में चीन ने बारी-बारी अपने पांच यात्रियों को भारत के सांस्कृतिक महत्व की जानकारी लेने के लिए भेजा। ह्वेनत्सांग ने यहां आकर 16 वर्षों तक भारत के कोने-कोने का अध्ययन किया। 644 ईस्वीं में उसने शक्तिशाली राजा हर्षवर्धन के राज्य को सबसे ज्यादा अन्न वाला बताया। यही नहीं उसने अपनी किताब में लिखा है कि प्रयागराज जलवायु, स्वास्थ्य और सबसे ज्यादा फल वाले वृक्षों का क्षेत्र है। प्रयागराज व आसपास के लोग विनम्र, सुशील और विद्याप्रेमी होते हैं। यहां तमाम पुरातत्व और सर्वेक्षण से भी सिद्ध होता है कि प्रयाग यूं ही तीर्थराज नहीं बना।

प्राचीन काल में 5 लाख से अधिक लोग जुटते रहे संगम की रेत पर

प्रयागराज (Prayagraj) की सांस्कृतिक महत्ता के बारे में ह्वेनत्सांग ने अपनी किताब सी-यू-की में लिखा है कि देश के बड़े-बड़े राजा और महाराजा यहां पर दान का उत्सव मनाने एकत्र हुआ करते थे। इनमें सबसे प्रतापी और शक्तिशाली राजा हर्षवर्धन का शासन काल सबसे प्रमुख रहा। ह्वेनत्सांग की किताब में प्राचीनकाल में प्रयाग के महात्म्य का रोचक वर्णन मिलता है। ह्वेनत्सांग ने लिखा है कि प्राचीन काल में प्रयागराज में बड़े स्तर पर धार्मिक उत्सव मनाया जाता था, जिसमें 5 लाख से अधिक व्यक्ति एकत्र होते। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में देश के बड़े-बड़े राजा और महाराजा हिस्सा लेते थे। उसने लिखा है कि इस बड़े राज्य का विस्तार 500 ली (05 ली = 01 मील) तक है। प्रयाग दो पवित्र नदियों गंगा और यमुना के बीच 20 ली के घेरे में है। यहां की जलवायु उष्ण है। साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद अनुकूल वातावरण है।

मंदिर, अक्षय वट का भी किया उल्लेख

चीनी यात्री ने लिखा है कि नगर में एक देव मंदिर है (किले के भीतर वर्तमान में पातालपुरी मंदिर) जो अपनी सजावट और विलक्षण चमत्कारों के लिए जग प्रसिद्ध है। लोगों की मान्यता है कि यहां पर एक पैसा चढ़ाने से एक हजार मुद्राएं दान करने के बराबर पुण्य मिलता है।

मंदिर के आंगन में विशाल वृक्ष (अक्षय वट) है, जिसकी शाखाएं व पत्तियां बहुत दूर तक फैली रहती हैं। यहां स्नान करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रयागराज में आने वाले लोग 07 दिनों तक भोजन नहीं करते और एक दिन चावल खाते हैं। दो नदियों के बीच सुंदर और स्वच्छ बालू से ढका मैदान है। यहीं संगम पर देश के सबसे समृद्ध लोग आते हैं और अपना सर्वस्व दान कर चले जाते हैं।

पुरा पाषाण काल से विकसित रहा है प्रयागराज (Prayagraj)

प्रयागराज (Prayagraj) की मेजा तहसील में बेलन व टोंस नदी के जमाव में पुरा पाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल का सांस्कृतिक विकास क्रम भी देखने को मिलता है। इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग ने 1962-63 में बेलन, सेवती क्षेत्र में सर्वेक्षण का काम किया था, जिसमें हनुमानगंज, लोन घाटी, मझगवां जैसे पुरा स्थान प्रकाश में आए।

बेलन घाटी के सर्वेक्षण से प्रारंभिक मानव के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। यहां प्राप्त सांस्कृतिक अवशेषों और मृदभांडों के टुकड़ों से यहां निवास करने वालों की जानकारी मिलती है। यहां मिली वस्तुओं से नवपाषाण संस्कृति के विकसित होने का पुख्ता प्रमाण मिलता है।

सम्राट हर्षवर्धन की तरह ही प्रयागराज के विकास के नायक हैं सीएम योगी

सरस्वती पत्रिका के संपादक अनुपम परिहार बताते हैं कि चीनी यात्री ह्वेनत्सांग दूसरे ऐसे चीनी यात्री हैं, जिन्होंने भारत खासकर प्रयागराज (Prayagraj) के बारे में इतने विस्तार से लिखा है। अनुपम परिहार ने खुद भी अपनी किताब ‘प्रयाग की धार्मिक एवं आध्यात्मिक विरासत’ किताब में सम्राट हर्षवर्धन को प्रजा के विकास के लिए त्रिवेणी संगम पर सबसे बड़ा आयोजन करने वाला प्रतापी राजा बताया है।

महाकुम्भ के लिए संगम के साथ ही सज संवर रहे अयोध्या, वाराणसी और चित्रकूट धाम

वो कहते हैं कि सम्राट हर्षवर्धन की तरह ही मौजूदा दौर में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रयागराज के विकास के नायक हैं। सीएम योगी के नेतृत्व में इस बार महाकुम्भ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए 6 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा रही है। ये उनकी विकासवादी नीतियों का ही परिणाम है कि दुनिया का सबसे वृहद उत्सव प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है।

Tags: maha kumbhMaha Kumbh 2025maha kumbh calling
Previous Post

देश के पर्यटन का ग्रोथ इंजन बना उत्तर प्रदेश

Next Post

सेना का वाहन खाई में गिरा, 5 जवानों की मौत; 10 घायल

Writer D

Writer D

Related Posts

Zero Poverty Campaign
उत्तर प्रदेश

जीरो पावर्टी की पहली लाभार्थी रूबी का बनने लगा सपनों का आशियाना

26/07/2025
Biogas
उत्तर प्रदेश

पंचगव्य से बनेगी स्किन केयर, बायोगैस से फर्राटा भरेंगी गाड़ियां

26/07/2025
The game of plot allocation is unfolding during Jan Darshan
राजनीति

पुनर्वास लैण्डफ्राड पर डीएम दून ने की सीबीसीआईडी जांच की शासन को संस्तुति; सख्ते में आवंटन तंत्र

26/07/2025
Uttar Pradesh moving ahead in Artificial Intelligence
उत्तर प्रदेश

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में आगे बढ़ता उत्तर प्रदेश, शिक्षा, सुरक्षा और कृषि में बन रहा तकनीकी मॉडल

26/07/2025
CM Vishnu dev Sai
राजनीति

मुख्यमंत्री साय ने दी कांवड़ यात्रियों को शुभकामनाएं

26/07/2025
Next Post
Army Vehicle

सेना का वाहन खाई में गिरा, 5 जवानों की मौत; 10 घायल

यह भी पढ़ें

upsc topper

UPSC में बिहारी छात्रों का जलवा, NTSC में पिछड़ जा रहे विद्यार्थी

28/09/2021

क्यों गलत समझा जाता है एक लड़का और लडकी का दोस्त होना

01/01/2022

नए साल में नया घर खरीदने वालों के लिए इस बैंक का तोहफा

08/01/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version