लाइफ़स्टाइल डेस्क। कोविड के दौर में बड़े खतरे में गर्भवती महिलाएं भी हैं। गर्भ में पल रहा बच्चा भी है। हालांकि, अब तक कि जो फाइंडिंग है उससे इसका सिर्फ संकते मिलता है कि कोरोना वायरस ट्रांसफर बल्ड टू ब्लड नहीं हो रहा है। मां के संक्रमित होने से बच्चे के अंदर एंटी बॉडी तैयार हो जाती है जो उसकी गर्भ से लेकर बाहर तक सुरक्षा करती है। डॉक्टर्स का कहना है कि कोविड संक्रमण फैलने के बाद से अब तक हुई डिलीवरी से संकेत ऐसे ही मिलते हैं। सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी बच्चों में संक्रमण न होना बताता है कि बच्चों की इम्युनिटी बेहद स्ट्रॉन्ग होती है।
डिलीवरी के समय अस्पताल में सावधानी
- कोरोना संक्रमित महिला की सर्जरी के समय गायनोकोलॉजिस्ट पीडियाट्रिशियन, और एनेस्थेसिया देने वाले के अलावा एक नर्स ऑपरेशन हाल में मौजूद होती है।
- जन्म के तत्काल बाद पूरी सफाई करके बच्चे को पीडियाट्रीशियन के हवाले कर दिया जाता है।
- बच्चा तभी तक मां के साथ रहता है जब तक कि उसकी कोरोना रिपोर्ट नहीं आ जाती। बच्चे की रिपोर्ट निगेटिव आने पर 4. बच्चे को रिलेटिव्स या फिर क्लोज फ्रेंड को सौंपा जाता है।
- बच्चे को सौपने से पहले उस महिला का भी टेस्ट होता है जो रिसीवर है।