इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण ( chandra grahan) 16 मई को लगने वाला है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा की रात राहु और केतु चंद्रमा का ग्रास करने की कोशिश करते हैं. उस समय चंद्रमा पर ग्रहण लगा होता है. चंद्र देव पर आए इस संकट के काल में कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. चंद्रमा का संबंध भावनाओं, स्वभाव, मस्तिष्क आदि से भी है. जब चंद्र ग्रहण लगता है, तो लोगों पर इसका असर पड़ता है, इस वजह से इस समय में भगवत वंदना करने को कहा जाता है. चंद्र ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाओं को कुछ कार्य करने वर्जित हैं.
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) के समय में गर्भवती महिलाओं को कौन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए.
चंद्र ग्रहण ( chandra grahan) 2022 समय एवं स्थान
प्रारंभ समय: 16 मई, दिन सोमवार, सुबह 07 बजकर 58 मिनट से
समापन समय: 16 मई, सोमवार, दिन में 11 बजकर 25 मिनट पर
सूतक काल: भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा.
कहां दिखाई देगा: अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, उत्तर-दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, पश्चिमी यूरोप, मध्य-पूर्व भाग में.
चंद्र ग्रहण ( chandra grahan) में गर्भवती महिलाएं न करें ये कार्य
- पूरे चंद्र ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाओं का घर से बाहर निकलना वर्जित है. ऐसी आशंका रहती है कि ग्रहण का दुष्प्रभाव उस पर और उसके शिशु पर पड़ सकता है.
- चंद्र ग्रहण के समय में भोजन करने की मनाही है. ग्रहण के कारण भोजन दूषित होने की आशंका रहती है, इसलिए भोजन में तुलसी का पत्ता एवं गंगाजल डालते हैं.
- चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली वस्तुओं जैसे सूई, चाकू आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को सोना नहीं चाहिए. इस दौरान अपने इष्टदेव का ध्यान करें या फिर हनुमान चालीसा या दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
- गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए.