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उम्रकैद की सजा काट रहे बूढ़े और गंभीर बीमारी से पीड़ित बंदियों को मिलेगी समय से पहले रिहाई

Writer D by Writer D
03/03/2023
in उत्तर प्रदेश, लखनऊ
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Premature release of old prisoners serving life sentence

Premature release of old prisoners serving life sentence

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लखनऊ। यूपी की जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे 70 साल से ज्यादा के बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बंदियों (Prisoners) को योगी सरकार (Yogi Government) बड़ी राहत दे सकती है। मानवीय आधार पर ऐसे कैदियों को जेल की चाहरदीवारियों से बाहर भेजने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। सरकार की ओर से इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दो हफ्ते में प्राथमिकता तय करते हुए यूपी के सभी जेलों में बंद ऐसे कैदियों की लिस्ट एक महीने में शासन को सौंपने के लिए कहा गया है। खुद मुख्य सचिव ने इसे लेकर सभी अधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं।

दो माह में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने सत्ता संभालने के बाद यूपी की जेलों को लेकर तमाम रचनात्मक कार्य शुरू कराए हैं। कैदियों के स्किल डेवलपमेंट से लेकर उनके मानवाधिकार को लेकर मुख्यालय स्तर पर कार्य और निगरानी हो रही है। इसी क्रम में प्रदेश की जेलों में बंद बुजुर्ग और गंभीर रोगों से ग्रस्त कैदियों को मानवीय आधार पर रिहाई मिलने जा रही है। प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने जेल अधिकारियों से समय पूर्व रिहाई की अहर्ता रखने वाले कैदियों की लिस्ट तलब की है।

कहा गया है कि ऐसे मामले जिनमें पहले ही निर्णय हो चुका है उनकी रिपोर्ट भी शासन को प्रेषित की जाए। ऐसे कैदी जो सत्तर साल की उम्र से अधिक के हों या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हों, इनकी लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर तैयार की जाए और अगले दो माह में इसके निस्तारण के लिए सभी जरूरी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दो सप्ताह की अवधि के भीतर आवश्यक प्राथमिकताएं निर्धारित करने का निर्देश दिया है, जिससे अन्य सभी लंबित मामलों का निस्तारण किया जाए।

बरतनी होगी ये सावधानियां

हालांकि इस मामले में कुछ सावधानी बरतने के लिए भी निर्देशित किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश बंदी परिवीक्षा नियमावली और जेल मैनुअल में निहित नियमों के तहत रिहाई के लिए प्राथमिकता तय करने के लिए कहा गया है। साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी ध्यान में रखने के लिए कहा गया है।

योगी 2.0 में रोजगार मेले के माध्यम से 1.72 लाख युवाओं को मिला रोजगार

जैसे, क्या उसके द्वारा किया गया अपराध समाज को व्यापक रूप से प्रभावित किये बिना केवल व्यक्ति विशेष तक सीमित अपराध की श्रेणी में आता है? क्या बंदी द्वारा भविष्य में अपराध करने की कोई आशंका है? क्या सिद्धदोष बंदी पुनः अपराध करने में अश्क्त हो गया है? क्या बंदी को जेल में और आगे निरुद्ध करने का कोई सार्थक प्रयोजन है? और क्या बंदी के परिवार की सामाजिक, आर्थिक दशा बंदी को समयपूर्व रिहाई के लिए उपयुक्त है?

Tags: Lucknow NewsYogi News
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