नई दिल्ली। देश में सस्ती दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार 15 हजार करोड़ का प्रोत्साहन पैकेज देने की तैयारी कर रही है। यह राशि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत दी जाएगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच सरकार घरेलू दवा उद्योग का उत्पादन क्षमता बढ़ना चाहती है, जिससे महंगी दवा के आयात पर निर्भरता कम किया जा सके और देश में ही जरूरी दवा का उत्पादन बढ़ने से आम लोगों को सस्ती कीमत पर दवा मिल सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से भारतीय दवा उद्योग को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। मौजूदा समय में घरेलू दवा उद्योग को कच्चे माल के लिए चीन समेत दूसरे देशों पर निर्भरता है। इससे दवा की कीमत कम करने में मुश्किल आ रही है। देश में ही दवा का उत्पादन होने से सस्ती दवा उपलब्ध कराना संभव हो पाएगा।
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सरकारी सूत्रों के अनुसार, दवा के बिक्री मूल्य पर 5% -10% का प्रोत्साहन जटिल जैविक और अन्य फार्मास्यूटिकल्स के लिए प्रदान किया जाएगा। दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि इस योजना से घरेलू दवा कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। इससे उनकी वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी कम होगी।
चीन ने भारत के साथ सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद दवा बनाने के लिए जरूरी उत्पाद एपीआई और केएसएम की कीमत में 10-20 फीसदी का इजाफा किया है। इसका सीधा असर भारत में दवा की कीमतों पर दिखाई दे सकता है। अगले एक से दो महीने के भीतर जब केएसएम की नई खेप आएगी तो उसकी कीमत ज्यादा होगी, जिसके कारण मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ जाएगा और दवा की कीमत भी बढ़ानी पड़ेगी। उद्योग जगत का कहना है कि चीन का मकसद इस तरह की हरकतों से आत्मनिर्भरत भारत अभियान को धक्का पहुंचाना है।