कानपुर। प्रदेश के 40 आईटीआई को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हो गई है। पहले चरण में 16 और दूसरे में 24 संस्थानों के निजीकरण पर सहमति बन गई है। नए सत्र से छात्रों का प्रवेश निजी आईटीआई में होगा। इसके साथ ही दाखिला लेने वाले छात्रों पर फीस का बोझ 54 गुना तक ज्यादा पड़ेगा। यानि आईटीआई की पढ़ाई पालीटेक्निक की पढ़ाई से भी ज्यादा महंगी हो जाएगी।
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यह माना जा रहा है कि निजीकरण के बाद छात्रों को अत्याधुनिक मशीनों के जरिए नई तकनीक सीखने का मौका मिलेगा। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निजी हाथों में जाने के बाद शिक्षा व प्रैक्टिकल के स्तर में सुधार होगा। हालांकि सभी आईटीआई का पाठ्यक्रम एक ही रहेगा।
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प्रशिक्षण संस्थानों के निजीकरण का प्रयोग राजस्थान में फेल हो चुका है। वहां वर्ष 2006 में सात पॉलीटेक्निक संस्थानों को निजी सेक्टर को सौंपा गया था। धीरे-धीरे संस्थानों में विवाद शुरू हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।