उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विवादित, भ्रष्टाचारी और जनता का शोषण करने वाले अफसरों पर निगाह टेढ़ी कर ली है। जिसकी मिसाल महज दो दिन पहले उस वक्त देखने को मिली, जब यूपी कैडर के 3 आईपीएस अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया गया। और अब यूपी के दो अन्य आईपीएस अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी चल रही है. इनमें से एक जेल में बंद है और दूसरा फरार है।
वो आईपीएस जो कल तक, अपराधियों को पकड़ने के लिए उनके पीछे भागता था। आज वो खुद पुलिस से भाग रहा है। छुपता घूम रहा है। हालात ये है कि जो पुलिसवाले कल तक उसे सलाम करते थे। आज वही उस आईपीएस को गिरफ्तार करने के लिए जगह-जगह छापेमारी कर रहे हैं। वो आईपीएस यूपी पुलिस के लिए एक बदनुमा दाग बनकर रह गया है। उसकी सूचना या गिरफ्तारी पर सरकार ने 50,000 रुपये का इनाम भी रखा है। उस भगोड़े आईपीएस का नाम है मणिलाल पाटीदार।
पुलिस मुख्यालय ने इस अफसर के खिलाफ सामने आए मामलों, जांच रिपोर्ट और उसकी एसीआर के आधार पर उसे पुलिस महकमें और भारतीय पुलिस सेवा से बाहर करने का फैसला किया है। जिसकी कागजी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि जल्द पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट शासन को जाएगी और वहां से अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए DOPT को भेज दी जाएगी।
कौन है मणिलाल पाटीदार
मणिलाल पाटीदार का जन्म 25 नवंबर 1989 को राजस्थान में हुआ था। वो पढ़ाई में तेज था। इसी के चलते मणिलाल पाटीदार ने साल 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। साथ ही उसने 188वीं रैंक हासिल की। रामजी पाटीदार के बेटे मणिलाल का घर राजस्थान के डूंगरपुर में है। आईपीएस अफसर बनने से पहले मणिलाल ने इलेक्ट्रॉनिक टेलीकम्यूनिकेशन से बीटेक किया और इंजीनियर बना। लेकिन इसमें उसका मन नहीं था। लिहाजा वो यूपीएससी की तैयारी करने लगा। कड़ी मेहनत और लगन से मणिलाल को बड़ी सफलता मिली। जब उसने 25 साल से भी कम उम्र में यूपीएससी पास किया।
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आईपीएस बन जाने के बाद मणिलाल पाटीदार को यूपी कैडर मिला। उसकी पहली तैनाती राजधानी लखनऊ में हुई। इसके बाद उसे महोबा जिले की कमान दी गई और एसपी बनाकर वहां भेजा गया। एसपी बनते ही मणिलाल के मुंह जैसे खून लग गया। उसे रिश्वत और पैसा कमाने की हवस ने भ्रष्टाचारी बना दिया। महोबा जिले में एसपी रहते हुए उसने जनता से जमकर उगाही की।
अभी उसे नौकरी करते हुए कुछ महीने ही हुए थे। लेकिन उस पर वसूली और रिश्वत के गंभीर आरोप लगने लगे। वो बदनाम होने लगा। इसी दौरान मणिलाल ने महोबा के एक क्रेशर कारोबारी इन्द्रकांत त्रिपाठी से रिश्वत मांगी। एसपी मणिलाल ने उससे 6 लाख रुपये हर महीने देने की मांग की। क्रेशर व्यवसायी ने रुपये देने से इंकार कर दिया। मणिलाल ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसका कारोबार बंद कराने की कोशिश की जाने लगी। उसके ठिकानों पर छापेमारी की गई। उस कारोबारी को इतना परेशान किया गया कि उसने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली।
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सितम्बर 2020 में इस वारदात से पहले का एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें मृतक ने एसपी मणिलाल पाटीदार की करतूत को उजागर कर दिया। मामला लखनऊ तक जा पहुंचा। हर तरफ वर्दी पर उंगली उठ रही थी। लिहाजा आला अफसरों ने मामले की जांच आईजी को सौंप दी. जांच में मणिलाल पाटीदार पर लगे इल्जाम काफी हद तक सही पाए गए। इसके बाद जिले के एसपी के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया गया। फिर मणिलाल को निलंबित कर दिया गया।
कारोबारी को आत्महत्या के लिए उकसाने, वसूली करने, रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार के आरोपों में मणिलाल पाटीदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। जैसे ही उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ तो वो फरार हो गया। उसी वक्त पुलिस ने पाटीदाल के पर 25 हज़ार का इनाम घोषित किया था। लेकिन अब तक वो पकड़ा नहीं गया। इसलिए सरकार ने उसकी गिरफ्तारी पर इनाम 25 से बढ़ाकर 50 हज़ार रुपये कर दिया है। अभी भी पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है।