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जगन्नाथ रथयात्रा के लिए मोसाल में तैयारियां, दिखेगी महाराष्ट्रीयन राजसी शैली

jagannath yatra

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भगवान जगन्नाथ जी की 144वीं रथयात्रा पर संशय के बावजूद उनके मोसाल के घर सरसपुर रणछोड़राय मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई हैं। परम्परानुसार भगवान जगन्नाथ मंदिर से निकल कर नगर यात्रा के दौरान मोसाल में आते हैं, तो भतीजे को मामा की ओर से वाघा, वस्त्र व आभूषण दिए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को भेंट में कई तरह की वस्तुएं दी जाती हैं।

सरसपुर रणछोड़राय मंदिर के ट्रस्टी उमंग पटेल ने बताया कि इस साल भगवान जगन्नाथ, बलराम और बहन सुभद्रा को महाराष्ट्रीयन शाही अंदाज का वाघा (विशेष वस्त्र) अर्पित किया जाएगा। इस बार महाराष्ट्रीयन हरी पगड़ी में पत्थर का काम, जरदोशी का काम, मोती का काम और शीशे का काम किया गया है। इसके साथ भगवान को आभूषण भी राजस्थान के शाही अंदाज में चढ़ाए जाएंगे।

भगवान के कलाात्मक वाघा के लिए सफेद और नीले रंग का प्रयोग किया गया है। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि इस वर्ष रथयात्रा निकलेगी भी अथवा नहीं । हर साल जब भतीजा मोसल आता है तो मोसाल के लोग इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि वह खाली हाथ न लौटे। सरसपुर के लोग भगवान की स्तुति कर रहे हैं और इस वर्ष भी 144वीं रथयात्रा के लिए मोसाल में भगवान जगन्नाथजी का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।

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144वीं रथयात्रा से पहले जमालपुर जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदासजी, ट्रस्टी महेंद्रभाई झा और प्रदेश के गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने तीन रथों की परंपरागत रूप से रथयात्रा से पहले अखात्रीज के दिन रथ की पूजा की। कोरोना के कारण  | पूजा  कुछ ही लोगों की उपस्थिति में की गई थी। 24 जून को जलयात्रा कैसे निकाली जाए, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। भक्त असमंजस में हैं कि क्या जगन्नाथजी की ऐतिहासिक रथयात्रा इस साल भी होगी, जब कोरोना महामारी के कारण पिछले साल मंदिर परिसर में ही रथयात्रा हुई थी।

कोरोना के चलते फिछले साल रथयात्रा को अंत तक रोकने के मुद्दे पर सरकार और मंदिर के बीच बातचीत हुई। हाईकोर्ट में भी मामले की सुनवाई हुई। बाद में अंततः मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया गया। भगवान जगन्नाथजी के रथ को अनुष्ठान  के बाद मंदिर के द्वार पर ले जाया गया। फिर तीनों रथों को मंदिर में ही बदल दिया गया और भक्तों के दर्शन के लिए रख दिया गया।

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