नई दिल्ली। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन और शिलान्यास करने के लिए एक दिन बाद ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भड़काऊ बयान दिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद साजिद राशिदी ने कहा कि राम मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बनाई जाएगी। राशिदी ने यह भी कहा कि विवादित स्थल पर कभी मंदिर था ही नहीं। वहां बाबरी मस्जिद थी और वही रहेगी।
अपने बयान में राशिदी ने कहा कि इस्लाम कहता है कि मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहती है। कुछ और बनाने के लिए उसे तोड़ा नहीं जा सकता है। हमारा विश्वास था और हमेशा रहेगा। वह एक मस्जिद हमेशा मस्जिद रहती है। मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनी थी, लेकिन अब हो सकता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई जाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हुआ था। सालों तक चली रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की लंबी कानूनी लड़ाई में रामलला के पक्ष में फैसला आया था, जिसके बाद पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी।
इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी और मुस्लिम पर्नसनल लॉ बोर्ड ने भी भूमि पूजन पर नाराजगी जाहिर की थी। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा है कि बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। उन्होंने बुधवार सुबह ट्वीट किया, ‘बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी, इशांअल्लाह।’
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन से ठीक पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने विवादित ट्वीट करते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद हमेशा थी और रहेगी। सु्प्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए बोर्ड ने कहा कि अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टीकरण के आधार पर भूमि का पुनर्निर्धारण करने वाला फैसला इसे बदल नहीं सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्वीट में तुर्की के हागिया सोफिया की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे लिए यह एक बेहतरीन उदाहरण है कि स्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं।
हागिया सोफिया म्युजियम यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल था, लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे एक बार फिर से मस्जिद में तब्दील कर दिया है। छठी शताब्दी में रोमन कैथोलिक राजा ने हागिया सोफिया का निर्माण चर्च के रूप में किया था, लेकिन जब 15 वीं शताब्दी में ऑटोमन साम्राज्य के मेहमत (द्वितीय) ने इस इलाके को जीता तो उन्होंने चर्च को मस्जिद में बदल दिया। मुस्तफा कमाल पाशा ने जब 1923 में तुर्की की बागडोर संभाली तो उन्होंने रूढ़वादी चीजों पर प्रहार किया और वर्ष 1934 में हागिया सोफिया को म्यूजियम में तब्दील कर दिया। हालांकि अब एर्दोगान ने उस इतिहास को पलट दिया है।
हागिया सोफिया का उदाहरण देकर पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह मंशा जाहिर की है कि एक दिन फिर राम मंदिर को बाबरी मस्जिद में तब्दील किया जा सकता है।बोर्ड के मोहम्मद वली रहमानी ने कहा कि बाबरी मस्जिद को कभी भी किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि मस्जिद में मूर्तियों को रखना गैरकानूनी था।