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इस जेल में बंद कैदियों के बच्चे भी जाएंगे स्कूल, जिला प्रशासन ने की पहल

Merrut District Jail

Merrut District Jail

मेरठ। जनपद की जिला जेल (District Jail) में बंद महिला कैदियों के बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए जिला प्रशासन ने सराहनीय पहल की है. अपनी मां के साथ जेल में रह रहे इन बच्चों का एडमिशन पास के निजी स्कूल में कराया गया है. इन बच्चों की पूरी पढ़ाई निशुल्क होगी और पाठ्य सामग्री इन्हें जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा है. इसी प्रकार उनकी माताओं के जेल में रहने तक यदि इन बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन के लिए कहीं बाहर भी भेजना हुआ तो इसका पूरा खर्च जिला प्रशासन उठाएगा.

यह जानकारी मेरठ के डीएम दीपक मीणा ने दी. उन्होंने बताया कि बच्चों की निजी और इंगलिस मीडियम में पढ़ाई शुरू होने से बच्चों के साथ ही उनकी माताएं भी खुश हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल यह सुविधा मेरठ जिला कारागार (District Jail) में बंद 7 महिला कैदियों के बच्चों को मिल रही है. जिला प्रशासन का पूरा प्रयास होगा कि कैदियों के बीच रह कर इन बच्चों के जीवन ना खराब हो. बल्कि वह आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर एक मिसाल कायम कर सकें.

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उन्होंने बताया कि इन बच्चों को जेल (District Jail) से स्कूल ले जाने और स्कूल खतम होने के बाद वापस लाने के लिए वाहन की भी व्यवस्था की गई है. डीएम दीपक मीणा के मुताबिक मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में कई महिलाएं ऐसे हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. चूंकि इन बच्चों की उम्र बहुत कम है, इसलिए इन्हें मां के साथ जेल में ही रहना पड़ता है. यहां रहने से उनके शिक्षा से वंचित रह जाने का खतरा था. वहीं कैदियों के बीच रहकर इन्हें गलत संगत में भी पड़ने की आशंका थी.

उन्होंने बताया कि ऐसे में इनमें से 7 महिला कैदियों के बच्चों का एडमिशन नजदीकी निजी स्कूल में कराया गया है. उधर जेल प्रबंधन ने बताया कि इस समय जिला जेल में कुल 77 महिला कैदी बंद हैं. इनमें सात महिलाओं के बच्चे छोटे हैं. यह महिला कैदी हत्या, हत्या का प्रयास, धोखाधड़ी आदि के मामलों में गिरफ्तार होकर जेल में आई हैं.

फिलहाल इनके बच्चों का एडमिशन मेरठ के साकेत स्थित केएस पब्लिक स्कूल में कराया गया है. ये बच्चे सुबह 7:30 बजे जेल से वैन से स्कूल जाते हैं और 12:30 बजे जेल की ही गाड़ी से वापस लौटते हैं. डीएम के मुताबिक वह हर महीने जेल का निरीक्षण करते हैं. पिछले निरीक्षण के दौरान उन्होंने इन बच्चों की स्थिति देखी तो उन्हें क्वालिटी एजुकेशन दिलाने का फैसला किया.

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