उत्तर प्रदेश में कानपुर के निजी अस्पताल ने तो हैवानियत की हद पार कर दी। अस्पताल के डॉक्टरों ने यहां डिलीवरी के लिए आई एक महिला को पहले HIV पॉजिटिव बताया और फिर उसके इलाज के नाम पर 80 हजार रुपये ऐंठने की कोशिश की। वहीं जब प्रसूता के परिजन पूरी रकम नहीं दे पाए तो ना केवल इलाज रोक दिया, बल्कि परिजनों के साथ मारपीट भी की। आखिर में परिजनों ने पीड़िता की जांच अन्य अस्पताल में कराई तो मामले का खुलासा हुआ।
इसके बाद पीड़ित परिवार ने डीएम को शिकायत दी है। वहीं डीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मामला शहर के साउथ सिटी स्थित उत्कर्ष अस्पताल का है। हाल ही में एक महिला को उसके परिजन डिलीवरी के लिए ले आए थे। यहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे फर्जी HIV पॉजिटिव बता दिया। इससे पूरा परिवार मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ। यही नहीं, डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर परिजनों से 80 हजार रुपये की डिमांड कर दी।
आरोप है कि पीड़ित परिवार ने जब इतनी बड़ी रकम दे पाने में असमर्थता जताई तो डॉक्टर एवं स्टॉफ ने उनके साथ अभद्रता और मारपीट की। पीड़ित परिवार ने इस संबंध में अस्पताल प्रशासन, तीन डॉक्टरों और स्टाफ पर आरोप लगाए हैं। सचेंडी में रहने वाले पीड़िता के पति मुलायम यादव ने जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह को शिकायत दी है। बताया कि 24 दिसंबर 2024 को उन्होंने अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए उत्कर्ष अस्पताल में भर्ती कराया था। जांच के दौरान अस्पताल वालों ने उनकी पत्नी को HIV पॉजिटिव बताया।
पैसा ना देने पर इलाज रोकने का आरोप
इससे उनके परिवार में हड़कंप मच गया। इस दौरान अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर 80 हजार रुपये की मांग की थी। चूंकि वह इतनी रकम की व्यवस्था नहीं कर पाए तो डॉक्टरों ने ना केवल इलाज रोक दिया, बल्कि उनके साथ मारपीट व अभद्रता भी की।
पीड़ितों की मदद में शिथिलता पर होगी कार्रवाई : मुख्यमंत्री
बाद में उन्होंने अपने एक परिचित की सलाह पर पत्नी की जांच अन्य अस्पताल में कराई। वहां रिपोर्ट निगेटिव आई है। मुलायम यादव ने कहा कि अस्पताल की इस हरकत ने उन्हें मानसिक रूप से बुरी तरह झकझोर दिया है। वह बीते तीन महीने से न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रहे थे।
डीएम ने दिए जांच के आदेश
अंततः समाधान दिवस के दौरान उन्होंने डीएम से मिलकर शिकायत दी। बता दें कि किसी भी अस्पताल में किसी मरीज की HIV रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसकी सूचना प्रशासन को देना अनिवार्य होता है। बावजूद इसके उत्कर्ष अस्पताल ने ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी। इस संबंध में उत्कर्ष अस्पताल के संचालक से बात करेन की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी है।