महाराष्ट्र में मराठा समाज आरक्षण (Maratha Samaj Arakshan) को लेकर आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल (Manoj Jarange) के नेतृत्व में मराठा समाज ने चलो मुंबई का ऐलान किया है। इसके समर्थन में हजारों लोग मुंबई की ओर कूच कर रहे हैं।
इसी दौरान बीड जिले के 45 वर्षीय सतीश देशमुख ( Satish Deshmukh) , जो इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे, का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे केज तालुका के वरपगांव के निवासी और किसान थे। पिछले दो वर्षों से वे लगातार मराठा आरक्षण आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। बुधवार को वे अपने साथियों के साथ मुंबई के लिए रवाना हुए थे, लेकिन गुरुवार सुबह नारायणगांव में हार्ट अटैक के चलते उनका निधन हो गया।
गांव और परिवार में शोक की लहर
सतीश देशमुख ( Satish Deshmukh) के निधन की खबर से उनके गांव और परिवार में गहरा शोक है। देशमुख के पिता और भाई सेना में कार्यरत हैं। उनके पास मात्र साढ़े तीन एकड़ जमीन थी, जिस पर परिवार की आजीविका निर्भर थी। उनके निधन से परिवार पर आर्थिक संकट भी गहरा गया है। देशमुख अपने पीछे पत्नी, 19 वर्षीय बेटे और वृद्ध माता-पिता को छोड़ गए हैं।
आंदोलनकारियों ने दी श्रद्धांजलि
देशमुख ( Satish Deshmukh) की अचानक हुई मौत से मराठा आंदोलन में शामिल कार्यकर्ता भावुक हो गए। आंदोलनकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और आरक्षण की लड़ाई को और मजबूत करने का संकल्प लिया।
मराठा समाज की मांग
मराठा समाज की प्रमुख मांग है कि उन्हें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल कर आरक्षण दिया जाए। इस मुद्दे पर राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मराठा समाज को आरक्षण देने की शुरुआत उनकी सरकार ने ही की थी और इसके लिए अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण भी दिया गया। इसके बावजूद अब ओबीसी में आरक्षण की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन वे यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इस आंदोलन की आवश्यकता क्यों पड़ी।