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किसानों के लिए मिट्टी के खनन व परिवहन हेतु आनलाईन रजिस्ट्रेशन का किया गया प्रावधान : जैकब

dr. roshan jacob

dr. roshan jacob

निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उप्र रोशन जैकब ने बताया कि किसानो के हित में साधारण मिट्टी के खनन / परिवहन के

नए विभागीय पोर्टल पर आनलाईन आवेदन कर पंजीकरण की  प्रक्रिया का प्राविधान  किया गया है। जिसके तहत विभागीय पोर्टल upminemitra.in पर “किसानों के निजी उपयोग हेतु स्वयं की भूमि से साधारण मिट्टी के खनन/परिवहन की अनुमति हेतु पंजीकरण” के ब्लाक पर अप्लाई कर पंजीकरण करना होगा। इस हेतु खनन योजना एवं खनन अनुज्ञा पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।

किसान अपने निजी उपयोग हेतु स्वयं की भूमि से साधारण मिट्टी के खनन/परिवहन हेतु

आवेदन कर सकेगे, जिस हेतु पंजीकरण करने के पूर्व किसान को नाम, पता, मोबाईल नम्बर

भरकर लागिन बनाना होगा। लागिन करने के उपरान्त प्रपत्र प्रदर्शित होगा जिसमें आवेदक का नाम, मोबाईल नम्बर,साधारण मिट्टी की मात्रा, खतौनी, खनन का प्रयोजन, आवेदित खनन क्षेत्र का पूर्ण विवरण यथा- जनपद, तहसील, ग्राम, गाटा नम्बर, गन्तव्य स्थान फीड करना अनिवार्य होगा।

इन बिन्दुओं को भरकर किसान द्वारा आवेदन सबमिट किया जाना होगा, जिसके पश्चात किसान को पोर्टल से स्वजनित पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त होगा। पंजीकरण प्रमाण पत्र ही परिवहन प्रपत्र के रूप में मान्य होगा।

पंजीकरण प्रमाण पत्र जनित होने से पूर्व गाटा नम्बर फीड करने के उपरान्त सिस्टम द्वारा भूलेख की  ए पी आई से भू-स्वामी के विवरण का मिलान किया जायेगा। आवेदक एवं भू-स्वामी भिन्न होने की दशा में पंजीकरण प्रमाण पत्र जनित नहीं होगा। किसी गाटा नम्बर पर एक से अधिक खातेदार होने की दशा में आवेदक के पक्ष खातेदारों की सहमति का शपथ-पत्र अपलोड करने के साथ सह खातेदारों के नाम को भी फीड करना होगा।

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किसान द्वारा आवेदित साधारण मिट्टी की मात्रा के उपयोग हेतु जनित पंजीकरण प्रमाण पत्र की वैधता दो सप्ताह होगी। डा० जैकब ने  बताया  कि जिलाधिकारी संबंधित जिला अधिकारी द्वारा किसी समय पोर्टल पर प्रदर्शित पंजीकृत मामले की आवश्यकता अनुसार जांच कर नियमानुसार कार्यवाही कर सकते हैं।

डा. रोशन जैकब ने इस संबंध में जिलाधिकारियों  परिपत्र भेजते हुए अपेक्षा की है कि वह दी गई व्यवस्था के अंतर्गत किसानों के निजी उपयोग साधारण मिट्टी के आवेदन पत्रों का निस्तारण करना सुनिश्चित करें।

इस सम्बन्ध में उन्होने स्पष्ट  किया है कि शासनादेश में किसानों के निजी उपयोग हेतु धारण मिट्टी के खनन/परिवहन सम्बन्धी दिशा निर्देश नहीं थे ,जबकि ग्रामीण अंचलो में किसानो को अपने घर के आस-पास तथा पशुओं के बाँधने के स्थानों पर जलभराव को रोकने के साथ ही अपने कृषिकीय भूमि को समतलीकरण करने के लिए साधारण मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।किसानों के उपयोग हेतु साधारण मिट्टी के खनन की प्रक्रिया नहीं होने के कारण उनके उत्पीड़नकी शिकायत प्राप्त होती रहती है।

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