प्रदेश के लघु, मध्यम उद्योग (एमएसएमई) राज्य मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा है कि विकास हमारी प्रतिबद्धता है। इतिहास, प्राकृतिक संपदा और कर्मठी लोगों की वजह से पूर्वांचल जाना जाता है। यहां कुटीर उद्योग व हस्तशिल्प की बेहद समृद्ध परंपरा रही है। हम एक जिला, एक उत्पाद के जरिए बेहतर पूर्वांचल के लिए काम करते रहेंगे।
एमएसएमई राज्य मंत्री ने ये बातें शुक्रवार को पूर्वांचल के समग्र और सतत विकास के बारे में विनिर्माण क्षेत्र के दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए कही। गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में वह वर्चुअल रूप से जुड़े थे। वेबिनार के मुख्य वक्ता अपर मुख्य सचिव, एमएसएमई नवनीत सहगल ने कहा कि पूर्वांचल उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का नया हॉटस्पॉट बनेगा।
इस बाबत यहां सारी संभावनाए हैं। यहां हर जिले में हस्तशिल्प की सम्पन्न परंपरा रही है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण चीन के प्रति दुनिया का रवैया बदला है। वहां निवेश करने वाले दूसरे देशों में अपना निवेश ले जाना चाहते हैं। ऐसे में यह उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल के लिए बेहतरीन अवसर भी है।
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उन्होंने कहा कि यहां खेतीबाड़ी, सर्विस सेक्टर और एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। पराली और कचरा प्रबंधन के इकोनॉमी मॉडल तैयार करने की सलाह जरूरत समय के अनुसार इन्हें तकनीक से अपडेट करने, उत्पाद की क्षमता एवं गुणवत्ता बढ़ाने, इसके लिए जरूरत के अनुसार वित्तीय सुविधा देने और बाजार उलब्ध कराने की है। अर्थशास्त्री डॉ उमेश सिंह ने खाद्य प्रसंस्करण की संभावनाओं, इससे पैदा होने वाले रोजगार और पोषण सुरक्षा के बारे में बताया।
उद्योगपति, गैलेंट इस्पात के सीएमडी चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि सरकार क्षेत्र के अनुसार संभावनाओं को चिह्नित करे। जैसी इकाइयां लगनी हैं, उन्हीं के अनुसार बुनियादी सुविधाएं विकसित करें। उन्होंने पराली और कचरा प्रबंधन के इकोनॉमी मॉडल तैयार करने की सलाह दी। उनके मुताबिक इससे ऊर्जा, कम्पोस्ट बनाया जा सकता है। ऐसा हुआ तो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर होगा। डॉ मनोज कुमार अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे। इसमें स्थानीय विश्वविद्यालय या शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग लें। कार्यक्रम का संचालन डॉ संजीत कुमार ने किया।