Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

इस दिन मनाई जाएगी राधा अष्टमी, जानें पूजा-अर्चना की सही विधि

Radha Ashtami

Radha Ashtami

जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी (Radha Ashtami ) का विशेष महत्व है। भगवान श्री कृष्ण का नाम हमेशा राधा जी के साथ लिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल राधा अष्टमी 11 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के नाम के साथ राधा रानी का नाम साथ में लिया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार की तरह ही राधा अष्टमी (Radha Ashtami )  भी धूमधाम से मनाई जाती है। राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं, राधा अष्टमी (Radha Ashtami )  व्रत की पूजा-विधि :

राधा अष्टमी (Radha Ashtami )  व्रत की पूजा विधि-

– प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।

– इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।

– कलश पर तांबे का पात्र रखें।

– अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें।

– तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें।

– ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए।

– पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें।

– दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।

Exit mobile version