अंबाला: पांच राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप आज अंबाला एयरबेस पर औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल हो गई। ये विमान वायुसेना के 17वें स्क्वाड्रन, “गोल्डन एरो” का हिस्सा होंगे। अंबाला में ही राफेल फाइटर जेट्स की पहली स्क्वाड्रन तैनात होगी। इस स्क्वाड्रन में 18 राफेल लड़ाकू विमान, तीन ट्रैनर और बाकी 15 फाइटर जेट्स होंगे।
Ambala: Defence Minister Rajnath Singh and Minister of the Armed Forces of France Florence Parly witness air display of Rafale fighter aircraft flanked by SU-30 and Jaguar aircraft in arrow formation pic.twitter.com/l6lAbTNsNJ
— ANI (@ANI) September 10, 2020
राफेल लड़ाकू विमान 4।5 जेनरेशन मीड ओमनी-पोटेंट रोल एयरक्राफ्ट है। मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला राफेल फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी यानी हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है। यानी राफेल जब आसमान में उड़ता है तो कई सौ किलोमीटर तक दुश्मन का कोई भी विमान, हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन पास नहीं फटक सकता है। साथ ही वो दुश्मन की जमीन में अंदर तक दाखिल होकर बमबारी कर तबाही मचा सकता है। इसलिए राफेल को मल्टी रोल लड़ाकू विमान भी कहा जाता है।
राफेल अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं। सबसे खास है दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में वार करने वाली मेटयोर मिसाइल। ये मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है। यानी राफेल प्लेन वाकई दक्षिण-एशिया में गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
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वियोंड विज्युल रेंज ‘मेटयोर’ मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है। हवा से हवा में वार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है। इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है।