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एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई नाप सकता है राफेल, पढ़ें विमान की खास बातें

Desk by Desk
29/07/2020
in Main Slider, Tech/Gadgets, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राष्ट्रीय, हरयाणा
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राफेल लड़ाकू विमान

एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई नाप सकता है राफेल

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नई दिल्ली। आखिरकार वो घड़ी आ ही गई जिसका हर देशवासी को बेसब्री से इंतजार था। लड़ाकू विमान राफेल की पहली खेप भारत की धरती पर पहुंच चुकी है। ऐसे में हर किसी के मन में राफेल की क्षमता और कीमत सहित कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे… तो आइए, राफेल से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों पर डालते हैं।

राफेल विमान की ताकत

राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 KM है, कॉम्बैट रेडियस यानी अपनी उड़ान स्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं। भारत को मिलने वाले राफेल में तीन तरह की मिसाइल लग सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प और हैमर मिसाइल से लैस होने के बाद राफेल दुश्मनों पर बिजली की तरह टूट पड़ेगा।

राफेल विमान की अंबाला एयरबेस पर लैंडिंग, वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने किया स्वागत

चीनी फाइटर प्लेन से बेहतर

राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। यह पाकिस्तान के F-16 या चीन के J-20 से बेहतर माना जा रहा है। भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें हैमर मिसाइल लगवाई है। हैमर (HAMMER) यानी Highly Agile Modular Munition Extended Range एक ऐसी मिसाइल है, जिनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है। ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं।

The Touchdown of Rafale at Ambala. pic.twitter.com/e3OFQa1bZY

— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 29, 2020

राफेल विमानों का सौदा भारत और फ्रांस के बीच में हुआ है. इस डील पर साल 2016 में हस्ताक्षर किया गया. डील के तहत भारत को 36 राफेल विमान मिलेंगे और इसकी कुल कीमत तकरीबन 58 हजार करोड़ रुपये होगी। इस समझौते को लेकर काफी विवाद भी रहा है, खासकर कांग्रेस पार्टी ने इस डील को लेकर सरकार को कई बार घेरा है। कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा सरकार की डील महंगी है जबकि उनके जमाने में ये विमान सस्ती दर पर खरीदने की बात हुई थी।

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 2021 तक पूरी तरह से ऑपरेशनल होंगे राफेल

फरवरी 2021 तक जाकर राफेल विमान पूरी तरह से ऑपरेशनल होंगे। राफेल विमान को फ्रांस ने भारतीय वायुसेना के हिसाब से बनाया है, जिसमें भारत की जरूरतों का ध्यान रखा गया है। राफेल 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना में एक तरह से बड़ा बदलाव लाएगा। इस विमान में 24500 किग्रा भार ढोने की क्षमता है। साथ ही विमान के जरिए एक साथ 125 राउंड गोलियां दागी जाती हैं जो किसी को कुछ सोचने से पहले उसका काम तमाम कर सकती हैं।

Welcome home ‘Golden Arrows’. Blue skies always.

The Arrow formation (Rafales) was given ceremonial welcome by SU-30s.#IndianAirForce #RafaleInIndia #Rafale pic.twitter.com/RP0wITfTPZ

— Indian Air Force (@IAF_MCC) July 29, 2020

राफेल विमान को वायुसेना की गोल्डन ऐरो 17 स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा। यह स्क्वाड्रन काफी प्रसिद्ध है जिसने करगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गोल्डन ऐरो 17 स्क्वाड्रन भारत की सबसे पुरानी स्क्वाड्रन में से एक है। अंबाला में राफेल विमानों की तैनाती होने जा रही है। बता दें, अंबाला एयरबेस देश का सबसे पुराना और विश्वसनीय एयरबेस है।

 अंबाला के बाद बंगाल में होगी तैनाती

एयरफोर्स ने राफेल की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। राफेल से जुड़े सभी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हैं। यहां तक कि पायलटों को इसकी खास ट्रेनिंग भी दे दी गई है। राफेल का पहला स्क्वाड्रन अंबाला में इसलिए तैनात किया जा रहा है क्योंकि इस जगह का खास रणनीतिक महत्व है। यहां से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर महज 220 किमी की दूरी पर है। राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हसिमारा में तैनात किया जाएगा।

साल 1919 में यहां रॉयल एयर फोर्स के 99 स्क्वाड्रन की तैनाती की गई। इसी के साथ यहां ब्रिस्टल फाइटर्स भी लगाए गए। बाद में 1922 में अंबाला रॉयल एयर फोर्स, इंडिया कमांड का हेडक्वाटर्स बना दिया गया। 1948 में यहां फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर स्कूल की स्थापना हुई जो स्कूल 1954 तक चला। अंबाला बेस पर 1965 और 1971 में पाकिस्तान की ओर से हमला किया जा चुका है।

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