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आम बजट में यूपी पर पैसों की बारिश, केंद्रीय करों में 37 हजार करोड़ रुपये बढ़ाया

Budget

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लखनऊ। केंद्रीय बजट में उत्तर प्रदेश पर केंद्र की मेहरबानी जमकर बरसी है। अगले वित्त वर्ष के बजट (Budget) में यूपी के हिस्से 4 लाख करोड़ रुपये आएंगे। ये धनराशि पिछले बजट से 85 हजार करो़ड़ रुपये ज्यादा है। केंद्रीय करों में 37 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। केंद्र सरकार का बजट उत्तर प्रदेश के विकास की रफ्तार में ईंधन का काम करेगा।

केंद्रीय बजट (Union Budget) में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है। पिछले वर्ष के बजट में जहां अलग-अलग मदों में प्रदेश के लिए 3.61 लाख करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था, जो इस बार 4 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। इसमें केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, कैपिटल असिस्टेंस, केंद्र प्रायोजित योजनाओं में हिस्सेदारी, सेंट्रल सेक्टर और वित्त आयोग के तहत मिलने वाली धनराशि शामिल है।

उत्तर प्रदेश के विकास को लेकर केंद्र की गंभीरता का अंदाजा इसी से लग जाता है कि आगामी वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की योजनाओं में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी करीब 18 फीसदी होगी। केंद्रीय करों में यूपी की हिस्सेदारी पिछले बजट की तुलना में 37 हजार करोड़ ज्यादा हो गई है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश को 84199 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इस वर्ष बढ़ाकर 90 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। स्पेशल कैपिटल असिस्टेंस फार स्टेट स्कीम के तहत मिलने वाले फंड में कोई खास तब्दीली नहीं की गई है।

हर उपभोक्ता के हाथ पैसे रखने की नियत

पिछले वर्ष यूपी को 17839 करोड़ इस मद में दिए गए थे जो इस वर्ष भी करीब 18 हजार करोड़ रुपये होंगे। इस स्कीम के अंतर्गत मिलने वाली धनराशि ब्याजमुक्त होती है, जिसकी वापसी का समय 50 वर्ष है। पंद्रहवें वित्त आयोग के अनुदान में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।

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बजट के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास नीति को दोहराया गया है। इसके अन्तर्गत गरीब, महिला, युवा तथा अन्नदाता किसान का विशेष ध्यान और भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाये जाने के लक्ष्य को ध्यान में रखा गया है। यूपी पर खास फोकस राज्य को 10 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। अलग-अलग मदों में बढ़ा हुआ बजट इस बात का संकेत है कि प्रदेश का उपभोक्ता बाजार तेजी से बढ़ रहा है यानी पिछले एक साल में लोगों के खर्च करने की क्षमता में तेजी आई है। लोगों की आय बढ़ रही है।

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