बाराबंकी। दरियाबाद (Daryabad) विधानसभा क्षेत्र जिले की अयोध्या जिले का सीमावर्ती क्षेत्र है। यह क्षेत्र सन 1858 में जिला मुख्यालय के रूप में व्यवस्थित था। 1859 में नवाबगंज में जिला मुख्यालय परिवर्तित कर दिया गया। तभी से यह क्षेत्र में अपने अतीत के गौरव को संजोए हैं। यह क्षेत्र इंतजार कर रहा है उस व्यक्तित्व का जो उसे अतीत का गौरव दिलवा सके। इस क्षेत्र ने एक से बढ़कर एक नेताओं को विधानसभा पहुंचाया है जो मंत्री भी बने कद्दावर भी बने पर इस क्षेत्र के कद के बारे में कभी नहीं सोचा। यह क्षेत्र आज भी अपने सपने को संजोए है। यहां के खंडहर बताते हैं कि यहां कभी इमारत बुलंद थी।
राजा हड़हा राजीव कुमार सिंह (raja haraha) ने अपने पुत्र रीतेश कुमार सिंह के लिए समाजवादी पार्टी (SP) से टिकट मांगा था लेकिन समाजवादी पार्टी ने दरियाबाद से रीतेश कुमार सिंह का टिकट काटकर पूर्व राज्यमंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप (Arvind Singh Gope) को चुनाव मैदान में उतारा। इस सदमे से राजा राजीव कुमार सिंह की तबियत बिगड़ी और उन्हें मेदांता हास्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उनकी मृत्यु हो गई। इससे पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। इसके बाद राजा रीतेश कुमार सिंह के राजतिलक के समय ही राजमाता ने राजा रीतेश कुमार सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद राजा रीतेश कुमार सिंह ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया और चुनाव मैदान में आ गए। क्षेत्र में ही नहीं पूरे जिले व अन्य जिले के लोगों की भावनाएं राजा रीतेश कुमार सिंह के साथ हैं।
सपा के पूर्व मंत्री राजा राजीव कुमार सिंह का निधन, बेटे को टिकट ना मिलने से थे आहत
इस बार निर्दलीय प्रत्याशी राजा हड़हा रीतेश कुमार सिंह के अलावा भारतीय जनता पार्टी ने सतीश शर्मा को चुनाव मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व राज्यमंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप चुनाव मैदान में हैं। बहुजन समाज पार्टी ने जग प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी चित्रा वर्मा सहित कुल 10 प्रत्याशी यहां से चुनाव मैदान में हैं।
एक नजर पूर्व के चुनाव परिणामों पर
2017 के चुनाव में यहां मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सतीश शर्मा को विजय मिली। 2007 व 2012 के चुनाव में यहां समाजवादी पार्टी के राजा राजीव कुमार सिंह ने बसपा उम्मीदवार विवेकानंद पांडेय को हराकर विजय पताका फहराई। 1996 व 2002 में भी राजा राजीव कुमार सिंह भाजपा के प्रत्याशी थे और उन्होंने समाजवादी पार्टी के राधेश्याम को हराकर विजय पाई। इससे पूर्व सन 1993 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राधेश्याम ने कांग्रेस प्रत्याशी राजा राजीव कुमार सिंह को पराजित कर विजय प्राप्त की। सन 1991 में जनता पार्टी के प्रत्याशी राधेश्याम कांग्रेस प्रत्याशी राजा राजीव कुमार सिंह को परास्त कर विजयी बने। सन 1989 में कांग्रेस प्रत्याशी राजा राजीव कुमार सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी अशर्फीलाल को 13697 मतों से परास्त कर विजयी बने। 1985 में निर्दलीय प्रत्याशी राजा राजीव कुमार सिंह ने कांग्रेस के कृष्ण मगन सिंह को हराकर विजय पताका फहराई। 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण मगन सिंह ने राज नारायन की पार्टी जनता पार्टी सेक्युलर के उम्मीदवार अशर्फीलाल को हराकर जीत दर्ज की। 1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी अशर्फीलाल विजयी रहे। सन 1974 में बीकेडी के प्रत्याशी बेनी प्रसाद वर्मा ने विजय पताका फहराई। 1967 व 1969 कांग्रेस प्रत्याशी गिरजा शंकर ने विजय पाई। इससे पूर्व 1962 में जनसंघ के प्रत्याशी दुर्जेंद्र नारायण ने कांग्रेस की बिन्दुमती को हराकर विजय पाई। इससे पूर्व दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था।
हमेशा बने रहे क्षेत्र के राजा
राजा राजीव कुमार सिंह ने यहां से नौ चुनाव लड़े। जिनमें से छह बार उन्होंने विजय पाई। यहां के लोगों ने उन्हें हमेशा राजा का सम्मान दिया और उनके सामने किसी को भी टिकने नहीं दिया। दो बार वह निर्दलीय के रूप में भी विधायक हुए और अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों को धूल चटा दी। वह दो बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीते। तीन बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़े और दो बार जीते। 2017 के चुनाव में मोदी की लहर में जनता ने उनका साथ भी नहीं दिया। इसके अलावा सन 1991 व 1993 में वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और हार गए। कुल मिलाकर यहां की जनता में भी वह काफी लोकप्रिय रहे। इस बार समाजवादी पार्टी ने उनके पुत्र का टिकट काट दिया इससे वह अत्यंत दुखी हुए और यह सदमा उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ। बहरहाल इस बार के चुनाव में विजयी कौन होगा। इसका फैसला यहां की जनता करेगी।
यहीं से हुई थी बेनी प्रसाद वर्मा के राजनीतिक सफर की शुरुआत
बेनी प्रसाद वर्मा ने भी अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत इसी क्षेत्र से की। भारतीय क्रांति दल से 1974 में पहला चुनाव लड़ा और वे कांग्रेस के पुरुषोत्तम शरण को 602 मतों से पराजित कर चुनाव जीते। हालांकि बाद में उन्होंने कभी भी इस क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ा। 1977 में उन्होंने मसौली क्षेत्र को अपना चुनाव मैदान चुन लिया। इसके बाद लोकसभा कैसरगंज के चुनावों में भी रामनगर और दरियाबाद क्षेत्र से उन्हें काफी सहयोग मिलता रहा और वह लोकसभा सीट पर विजय पाते रहे। बेनी प्रसाद वर्मा का राजनीति में काफी लंबा सफर रहा। इस दौरान वह केंद्रीय मंत्री भी रहे।
बाबा की श्रद्धांजलि के लिए पोता मांग रहा सहयोग
दरियाबाद क्षेत्र में रीतेश का लगभग 12 वर्षीय पुत्र अमरेन्द्र प्रताप सिंह भी लोगों से अपने पिता की जीत के लिए नहीं बल्कि अपने बाबा राजा राजीव कुमार सिंह की श्रद्धांजलि के लिए वोट मांग रहा है। जो लोगों को भावुक कर जाता है। सभी उसे पूरा आश्वासन भी दे रहे हैं कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अवश्य दी जाएगी।
दरियाबाद क्षेत्र की शुरुआत में ही जनसंघ से लहराया था भगवा
दरियाबाद जब पहली बार विधानसभा क्षेत्र बना तो जनसंघ के दुर्जेंद्र सिंह ने कांग्रेस की बिन्दुमती को हराकर इस क्षेत्र में भगवा लहराया था। इससे वह जनसंघ के इस क्षेत्र व जिले के प्रणेता बन गये थे। हालांकि उनका राजनीतिक सफर बहुत लंबा नहीं रहा।