नई दिल्ली। राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच राजस्थान उच्च न्यायालय में स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने सचिन पायलट खेमे को राहत देते हुए 24 जुलाई तक की मोहलत दे दी है। अदालत ने स्पीकर सीपी जोशी से कहा है कि वो 24 जुलाई तक कोई भी कार्यवाही नहीं करेंगे। अब इस मामले पर उच्च न्यायालय 24 जुलाई को फैसला सुनाएगी।
Rajasthan: Chief Minister Ashok Gehlot, Congress leader Ajay Maken, state unit president Govind Singh Dotasara and others at Congress Legislative Party (CLP) meeting underway at Fairmont Hotel in Jaipur. pic.twitter.com/2GMbdbh6eP
— ANI (@ANI) July 21, 2020
जयपुर के फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक जारी है। इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस नेता अजय माकन, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और अन्य मौजूद हैं। 10 दिन में तीसरी बार विधायक दल की बैठक हुई है। बैठक में सूबे के मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, ‘न तो कांग्रेस और न ही भाजपा चाहती है कि विधानसभा भंग हो और चुनाव कराए जाएं। पूरा देश देख रहा है कि आप किस तरह से लड़ रहे हैं। आपका सम्मान कई गुना बढ़ गया है। यह कोई साधारण बात नहीं है। आप में से सभी के पास फोन है, किसी पर कोई दबाव नहीं है।’
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बर्खास्त किए गए उपमुख्यमंत्री पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष चल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को दलील दी कि याचिका समय से पहले दायर की गई है, क्योंकि सदन से विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने पर फैसला लिया जाना अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर अदालत के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।
सिंघवी ने कहा कि जहां तक विधानसभा का सवाल है, विधानसभा अध्यक्ष सर्वोच्च होता है और जो नोटिस जारी किये गए हैं, वे विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों के दायरे में है। विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए एक वकील ने संवाददाताओं को बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता के लिये दी गई ऐसी याचिका पर बिना कारण जाने नोटिस जारी करने के लिये बाध्य होता है? सिंघवी ने दलील दी कि कारण जानने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह महज कारण बताओ नोटिस है।
पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिये पार्टी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत किये जाने के बाद यह नोटिस विधायकों को जारी किया गया था। हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो। कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।
विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, यदि वह उसकी सदस्यता‘स्वेच्छा’से त्याग देता है तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है। मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है।