जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब यह लड़ाई अदालतों के जरिये लड़ी जा रही है। सचिन पायलट ने विधानसभा के अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी की ओर से जारी नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें 24 जुलाई तक फौरी राहत मिल गई।
अब स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर कर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। डॉ. जोशी की ओर से कपिल सिब्बल बहस करेंगे। सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश से मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया, जिसपर सीजेआई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास जाने को कहा।
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इससे पहले डॉ. जोशी ने जयपुर में शीर्ष आदलत का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि स्पीकर ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, ऐसे में बीच में ही अदालती हस्तक्षेप नहीं हो सकता है। इस बाबत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ही एक फैसले का हवाला दिया था। इसके बाद अब उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस के जरिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।
स्पीकर सीपी जोशी की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के मुताबिक, कोई भी अदालत स्पीकर के समक्ष चल रही कार्यवाही में तब तक दखल नहीं दे सकती जब तक स्पीकर उस पर फैसला न कर लें। सिर्फ नोटिस करने पर दखल करना उचित नहीं है। साथ ही कहा गया है कि जब तक सचिन पायलट और 18 विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर कोई फैसला नहीं करते तब तक अदालत इसमें दखल नहीं दे सकती है।
होलोहन फैसले के मुताबिक , दी यह दलील
होलोहन फैसले के मुताबिक, विधायकों की अयोग्यता को लेकर चल रही कार्यवाही में अदालत दखल नहीं दे सकती है। ऐसे में हाईकोर्ट का 24 जुलाई तक सचिन पायलट और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई न करने देने का फैसला गलत है। याचिका में कहा गया है कि सचिन पायलट और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर जो कार्रवाई चल रही है वो विधानसभा के सुनवाई का हिस्सा है।
ऐसे में कोर्ट दखल नहीं दे सकता है। 10वीं अनुसूची को देखते हुए हाईकोर्ट इस मामले में दखल नहीं दे सकता है। लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश जारी करने के बाद वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए मजबूर हैं। स्पीकर आज ही अपनी याचिका पर सुनवाई की मांग करेंगे।