नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पिछले चार महीने से चल रही तनातनी जारी है। इसके बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में देशवासियों को आश्वस्त किया कि देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा। सेना को सीमा पर गश्त लगाने और उसकी रक्षा करने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।
श्री सिंह ने पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी के इस सवाल पर कि चीन गलवान घाटी में आठ किलोमीटर के क्षेत्र में सेना को गश्त नहीं लगाने दे रहा है और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सेना जहां गश्त लगाती रही है उसे वहां गश्त लगाने का अधिकार होना चाहिए।
कोरोना वायरस पॉजिटिव सांसद का निधन, लोकसभा एक घंटे के लिए स्थगित
श्री सिंह ने पूर्वी लद्दाख में बने सैन्य गतिरोध की स्थिति पर आज राज्यसभा में वक्तव्य देते हुए कहा कि सेना पूरी मजबूती और दृढ़ता के साथ मातृभूमि की रक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी भी किसी पर आक्रमण नहीं किया है। वह सभी मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत से करने का पक्षधर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस रुख को भारत की कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि वह अपनी मातृभूमि की रक्षा करने में पूरी तरह समर्थ और सक्षम है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी कोरोना पॉजिटिव
सदस्यों की ओर से मांगे गये स्पष्टीकरण का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक परंपरागत रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास जहां भी गश्त करते रहे हैं। वहां उन्हें गश्त लगाने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि वह सदस्यों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सेना के गश्त के पैटर्न में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा।
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे सेना के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है। हमारे जवान किसी भी संकट का सामना करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। हम लद्दाख में एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन साथ ही मुझे पूरा भरोसा है कि हमारा देश और हमारे वीर जवान इस चुनौती पर खरे उतरेंगे। मैं इस सदन से अनुरोध करता हूं कि हम एक ध्वनि से अपनी सेनाओं की बहादुरी और उनके अदम्य साहस के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें।
रक्षा मंत्री ने चीन के साथ गतिरोध से उत्पन्न स्थिति पर सदस्यों द्वारा एकजुटता जताये जाने पर उनका आभार व्यक्त किया। कहा कि सरकार सैनिकों की सभी जरूरतों का ध्यान रख रही है। इससे सेना को यह संदेश मिलेगा कि देश और संसद उसके साथ खड़ी है।