Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

राज्यसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, तीन श्रम सुधार विधेयकों को दी मंजूरी

तीन श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी Three Labor Reform Bills approved

तीन श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी

 

नई दिल्ली। कोरोना के कहर को देखते हुए राज्यसभा का मानसून सत्र बुधवार को निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। बता दें कि छोटी सी अवधि होने के बावजूद सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया, जबकि हंगामे के कारण आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह सत्र कुछ मामलों में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि इस दौरान उच्च सदन के सदस्यों को बैठने की नई व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया। ऐसा उच्च सदन के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ।

उद्योग जगत लक्ष्य के साथ भविष्य की राजकोषीय रूपरेखा की घोषणा पर जोर

नायडू ने कहा कि इसके अलावा सदन ने लगातार दस दिनों तक काम किया है। शनिवार और रविवार को सदन में अवकाश नहीं रहा। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया गया या लौटा दिया गया। इसी के साथ छह विधेयकों को पेश किया गया। सत्र के दौरान पारित किए गए विधेयकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक, विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक, जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले चार सत्रों के दौरान उच्च सदन में कामकाज का कुल प्रतिशत 96.13 फीसदी रहा है। सभापति ने पिछले दो दिनों से सदन के कामकाज में कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा भाग नहीं लिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।

नायडू ने कहा कि राज्यसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उपसभापति को हटाये जाने का नोटिस दिया गया है। सभापति ने कहा कि उन्होंने इसे खारिज कर दिया क्योंकि वह नियमों के अनुरूप नहीं था। उन्होंने इसके बाद सदन में हुई घटनाओं को ‘पीड़ादायक’’ बताया।

इसके अलावा संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी। जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी। अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी।

राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया। इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

कोविड-19 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में 5.9 प्रतिशत की कमी का अनुमान

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है। उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है।

गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।

उन्होंने सदन को बताया कि इस सीमा को बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा और नियोक्ताओं को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। सरकार ने 29 से ज्यादा श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है।

राज्यसभा में पारित हुए विधेयक संहिताएं- ‘उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020’, ‘औद्योगिक संबंध संहिता 2020’ और ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020’ हैं। इनमें किसी प्रतिष्ठान में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा को विनियमित करने, औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान किए गए हैं।

Exit mobile version