लाइफ़स्टाइल डेस्क। रक्षाबंधन का पावन पर्व 03 अगस्त सोमवार को श्रवण नक्षत्र में ही मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सोमवार और सोम का ही नक्षत्र होने से यह महामुहूर्त बन जाएगा। सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर सूर्य का नक्षत्र उत्तराषाढा़ समाप्त हो रहा है और चन्द्र के नक्षत्र श्रवण आरम्भ होगा जो भाई-बहन के आपसी प्रेम के लिए अति शुभ रहेगा। इसी दिन देवताओं, ऋषिओं और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ती है। इसी दिन पुरोहित अपने यजमान की सब प्रकार से रक्षा के लिए कलाई में रक्षासूत्र बांधते है। इससे यजमान का कल्याण भी होता है और गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन होते हुए आपसी प्रेम भी बढ़ता है। इसी दिन अपने-अपने शाखा में बताई हुए विधि के अनुसार ऋषियों का पूजन करने का विधान है। प्राणी इस दिन नदियों तीर्थों जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान और दान-पुन्य करके आप ईष्ट कार्य सिद्ध कर सकते हैं।
भद्रा सुबह ही समाप्त हो जाएगी
शास्त्रों में रक्षाबंधन का पावन कर्म भद्रा रहित समय में करने का विधान है। इस दिन राखी बांधने का मुख्य समय भद्रा की समाप्ति के बाद सुबह 09 बजकर 28 मिनट से रात्रि 09 बजकर 28 मिनट तक है। अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रा रहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। इस दिन चंद्रमा अपने ही नक्षत्र और मकर राशि में रहेंगे, इसलिए भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा, अतः इस बार भद्राकाल भय भी नहीं रहेगा और ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा। बहनों अथवा यजमानो को राखी बांधते समय ये मंत्र पढ़ना चाहिए। येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। माथे पर तिलक करने और राखी बांधने के बाद भाई को मिष्ठान आदि भी खिलाना चाहिए जिसके बदले बहनों को भाई महंगे उपहार देकर आजीवन उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
हुमायूं और कर्णवती की कथा
वैसे तो श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही है किन्तु इस दिन मुगल काल में हुमायूं और महारानी कर्णवती की राखी का जिक्र सबकी जुबान पर होता है। इस दिन लाल कपड़े के एक भाग में सरसों तथा अक्षत रखकर उसे लाल धागे से बाँध कर शुद्ध पात्र में रखकर भगवान विष्णु की प्रतिष्ठा करें। फिर षोडशोपचार विधि से पूजा कर उसे कलाई में बांधे और अपने घर के मुख्य द्वार पर भी बांधे इससे आपकी और आप के परिवार की रक्षा होगी तथा कोई भी विघ्न-बाधा नहीं सताएगी। रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा के लिए राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।