अयोध्या। रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के लिए पूर्व प्रस्तावित मॉडल को विस्तार देने का निर्णय लिया गया है। जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट ने राम मंदिर के शिखर की ऊंचाई के साथ परिसर को भी विस्तारित करने पर अपनी मुहर लगा दी है।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टियों की शनिवार को सर्किट हाउस में हुई बैठक में भूमि पूजन की तिथि तय नहीं हो सकी। यह तिथि प्रधानमंत्री कार्यालय से तय होगी। फिलहाल भूमि पूजन के लिए पीएमओ को तीन और पांच अगस्त का सुझाव भेजा गया है।
पीएमओ को भेजी गई राममंदिर शिलान्यास की तारीख : चंपत राय
करीब सवा दो घंटे चली चली बैठक के बाद ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को बताया कि भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अयोध्या आगमन निश्चित है, लेकिन तिथि अभी तय नही हुई। उन्होंने बताया कि पीएमओ को दो तिथियों का सुझाव भेजा गया। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के नक्शे में मौलिक रुप से कोई बदलाव नहीं किया जाएगा लेकिन विस्तार देने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि इस बदलाव में मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी जो कि धरातल से 128 फिट के बजाए अब 161 फिट होगी। इसी तरह मंदिर के उत्तर-दक्षिण हिस्से का भी विस्तार किया जाएगा।इसके कारण गुम्बदों की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो जाएगी।
इससे पहले रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि देशकाल की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भूमि पूजन की तिथि तय करने का दायित्व प्रधानमंत्री कार्यालय पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आगमन पर सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों के लिए प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को कम से कम 15 दिवस का समय चाहिए। ऐसे में पीएमओ से 15 दिन पूर्व सूचना मिल जाएगी।
बैठक में महासचिव श्री राय व श्री चौपाल के अलावा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि, मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र, युगपुरूष स्वामी परमानंद, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास, अयोध्या राज परिवार के मुखिया विमलेन्द्र मोहन मिश्र, डा. अनिल मिश्र, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी व जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के अलावा आरएसएस के सर कार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल, महंत कमल नयन दास व मंदिर माडल के शिल्पकार निखिल सोमपुरा शामिल थे।
इसके अलावा के. पारासरण, जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ व केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी ज्ञानेश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही में हिस्सा लिया।