पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में 15 साल तक यातनाएं झेलने के बाद बिहारी बाबू अब स्वदेश वापास लौट चुका है। उसे देख कर ही ये अंदाजा लगाया जा सकता था कि पाकिस्तान में उसके साथ क्या हुआ होगा। उसे डेरा बाबा नानक सीमा से गलती से पाकिस्तान में घुस जाने पर पाकिस्तानी रेंजरों ने गिरफ्तार कर लिया था।
बिहार की राजधानी पटना के गांव भवानीपुर काशीचक के रहने वाले 58 वर्षीय रामचंद्र 15 साल वापस वतन लौट आए हैं। रामचंद्र को पाकिस्तान रेंजर अधिकारी मोहम्मद फैजल ने अटारी-वाघा सीमा पर बीएसएफ अधिकारी अनिल चौहान को सौंपा है। बीएसएफ ने दस्तावेज की जांच कर उसे अटारी सड़क सीमा पर स्थित पंजाब पुलिस की चौकी काहनगढ़ पुलिस को सौंप दिया।
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अटारी-वाघा सीमा पर पहुँचने के बाद रामचंद्र को देखकर लग रहा था कि उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी प्रताड़ित किया गया है। वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था। अटारी पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।
अटारी सीमा पर पंजाब पुलिस के प्रोटोकाल अधिकारी अरुण पाल सिंह ने बताया कि बुधवार को बीएसएफ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान रेंजर एक भारतीय को रिहा कर भेज रहे हैं। रामचंद्र को बोलने में भी कठिनाई आ रही थी। उसके परिजन एक दो दिन में यहां पहुंच जाएंगे। दस्तावेज पूरे करने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
परिवार ने बताया है कि रामचंद्र की शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी है। परिजनों के अनुसार, 15 साल पहले रामचंद्र घर से लापता हो गया था, तब उसकी उम्र 43 साल थी। वह खेतीबाड़ी और मजदूरी करता था। बीएसएफ अधिकारियों के आदेश के बाद पंजाब पुलिस ने रामचंद्र को अदालत में पेश नहीं किया। प्रोटोकॉल अधिकारी के अनुसार चूंकि उसके परिजनों के साथ बातचीत कर ली गई है, इसलिए अब उसे परिजनों को सौंपने की औपचारिकता ही पूरी की जाएगी।
पहले भी इस स्थिति में लौटे कई भारतीय
पाकिस्तान द्वारा रिहा किए जाने वाले भारतीयों को प्रताड़ित करने की यह पहली घटना नहीं है। पाकिस्तान से लौटे कई भारतीय यातनाओं के कारण मानसिक रूप से विकृत होकर लौटे हैं। उन्हें अमृतसर स्थित सरकारी मेंटल अस्पताल में दाखिल करवाया जाता था। इनमें से कई भारतीय आज भी वहां दाखिल हैं। पाकिस्तान से लौटे यह लोग अपने घर का पता तक नहीं बता पाए थे।