अयोध्या। मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला (Ramlala ) को अब शयन आरती के बाद रजाई ओढ़ाई जा रही है। इसी के साथ सर्दी से बचाव और मंदिर के वातावरण को गर्म रखने के लिए ब्लोअर भी लगा दिया गया है।
बाल स्वरूप की होती है पूजा
गौरतलब है कि सर्दी का मौसम है और तापमान भी लगातार नीचे गिर रहा है। मौसम के मिजाज को देखते हुए रामलला (Ramlala ) की देखरेख भी बढ़ा दी गई है। अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। इसलिए सर्दी हो या गर्मी मौसम के हिसाब से ही उनकी सेवा होती है।
प्राण प्रतिष्ठा से मूर्ति में होता है आराध्य का वास
सनातन धर्म में मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति को भी उसी तरह का अनुभव होता है जैसे मानव शरीर को होता है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति में आराध्य का वास होता है। इसलिए उनको स्नान कराया जाता है, वस्त्र बदले जाते हैं, भोग लगाया जाता है, श्रृंगार होता है और भोर में आरती के साथ जगाया जाता है। इसके साथ ही शयन आरती के साथ सुलाया जाता है।
भगवान को ओढ़ाई जाती है रजाई
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं, “रामलला (Ramlala ) बालक रूप में हैं। बालक रूप में भगवान रामलला का ध्यान रखना और पूजा-अर्चना करना भक्तों का कर्तव्य होता है। भक्तों की भावना के अनुसार, उनको ठंडी से बचाने के लिए ब्लोअर लगा हुआ है। इसके साथ ही भगवान को रजाई ओढ़ाई जाती है”।
हर साल ठंडी के मौसम होती ये व्यवस्था
पुजारी ने आगे बताया कि इस प्रकार की व्यवस्था हर साल ठंडी के मौसम होती है। उसी के अनुरूप इस वर्ष भी तैयारियां की जा रही हैं। भगवान रामलला को ठंड से कोई परेशानी न हो, इसी भावना से व्यवस्था हो रही है।