Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

रंगभरी एकादशी 10 मार्च को, ऐसे करें शिव-पार्वती की पूजा

Rangbhari Ekadashi

Rangbhari Ekadashi

महाशिवरात्रि व होली के बीच पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) कहा जाता है। यह 10 मार्च को मनाई जाएगी। ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि वैसे तो सभी एकादशी व्रत महत्वपूर्ण है, लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन व्रत रहकर शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस दिन भगवान शिव व भगवान विष्णु को गुलाल व फूल अर्पण किया जाएगा, फिर गुलाल व फूलों की होली खेली जाएगी। मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाएगा।

रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) का संबंध भगवान शंकर और माता पार्वती से

रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) का संबंध भगवान शंकर और माता पार्वती से है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन बाबा विश्व नाथ माता गौरा का गोना कराकर पहली बार काशी आए थे। इस दिन काशी विश्वनाथ वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है कि तब उनका स्वागत रंग गुलाल से हुआ था।

मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ – मार्च 09, 2025 को 07:45 ए एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त – मार्च 10, 2025 को 07:44 ए एम बजे

पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 11 मार्च को 06:35 ए एम से 08:13 ए एम तक

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:13 ए एम

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान शिव और माता पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी गंगा जल से अभिषेक करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

शिव जी और माता पार्वती की पूजा सामग्री-

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

Exit mobile version