Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

आरोग्य, सुख-समृद्धि के लिए आज रखा जाएगा रवि प्रदोष व्रत

Pradosh Vrat

Pradosh Vrat

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत आता है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विविध व्रतों का उल्लेख है। उनमें प्रमुख व्रत प्रदोष का है। चन्द्रमास के दोनों पक्षों में प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि पर यह व्रत रखा जाता है। इस समय आश्विन मास चल रहा है। आश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) 29 सितंबर को है।

रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जानते हैं। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से पूजा-अराधना की जाती है। प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव अपने भक्‍तों के सारे दुख-कष्‍ट दूर करते हैं।

मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और देवतागण उनके गुणगान करते हैं। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव अपने भक्त के सभी दुख दूर करते हैं। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है।

मुहूर्त-

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 29, 2024 को 04:47 पी एम बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त – सितम्बर 30, 2024 को 07:06 पी एम बजे

प्रदोष पूजा मुहूर्त – 06:09 पी एम से 08:34 पी एम

अवधि – 02 घण्टे 25 मिनट्स

दिन का प्रदोष समय – 06:09 पी एम से 08:34 पी एम

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का अपना विशेष महत्व होता है। रवि प्रदोष व्रत आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। उन्होंने बताया कि शांति एवं रक्षा के लिए सोम प्रदोष व्रत, मनोकामना पूर्ति के लिए बुध प्रदोष, विजय एवं लक्ष्य प्राप्ति के लिए गुरु प्रदोष, आय के लिए शुक्र प्रदोष व्रत तथा पुत्र प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है।

Exit mobile version