नई दिल्ली। त्योहारी सीजन में घर खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरीबीआई) ने आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत आवास वित्त कंपनियों से होम लोन लेकर समय से पहले बंद करवाने या पूर्व भुगतान करने पर अब कोई जुर्माना नहीं देना होगा।
इसके साथ ही आरबीआई ने आवास वित्त कंपनियों को निर्देश दिया कि उनका नेट असेट्स का 60 फीसदी हिस्सा हाउसिंग फाइनेंस में होना चाहिए। अगर जिन कंपनियों का यह अनुपात इससे मेल नहीं खाता है उनको 31, मार्च 2024 तक इस मानदंड को पूरा करना होगा। इसके साथ की कंपनियों को अपने कुल लोन मूल्य का 50 फीसदी व्यक्तिगत ऋणदाता को देना होगा।
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वहीं, किसी बिल्डिंग के डेकोरेशन या मार्गेज के लिए दिया गया लोन होम लोन के अंतर्गत नहीं आएगा। केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि सिर्फ प्रॉपर्टी खरीदने या कंस्ट्रक्शन के लिए लिया हुआ लोन ही होम लोन के दायरे में आएगा। गौरतलब है कि आरबीआई ने अगस्त, 2019 में आवास वित्त कंपनियों के लिए एक ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किया था।
आरबीआई के अंतिम दिशानिर्देश के अनुसार, आवास वित्त कंपनियों को अपने नेट असेट का 60 फीसदी लोन होम लोन के तौर पर देना होगा। इसके तहत 31 मार्च 2022 तक होम लोन की हिस्सेदारी बढ़ाकर कम से कम 50 फीसदी और 31 मार्च 2023 तक 55 फीसदी करनी होगी। वहीं, 31 मार्च 2024 तक कुल लोन में होम लोन की हिस्सेदारी 60 फीसदी करनी होगी। इस अवधि में व्यक्तिगत आवास ऋणों का न्यूनतम प्रतिशत क्रमशः 40 फीसदी, 45 फीसदी और 50 फीसदी करना होगा।
आरबीआई ने कहा कि एचएफसी को दिए गए समयसीमा के अंदर अपने लोन की हिस्सेदारी में बदलाव करना होगा। समय के अनुसार मानदंडों को पूरा करने में असमर्थ एचएफसी को एनबीएफसी- निवेश और क्रेडिट कंपनियों (एनबीएफसी-आईसीसी) के रूप में माना जाएगा और उन्हें एचएफसी से एनबीएफसी-आईसीसी में पंजीकरण कराने के लिए रिजर्व बैंक से संपर्क करना होगा।