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दशहरा से पहले आम आदमी को झटका, RBI ने नहीं कम की लोन ईएमआई

RBI did not make any change in Repo Rate

RBI did not make any change in Repo Rate

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम लोगों को बड़ा झटका देते हुए लगातार दूसरी बार एमपीसी की बैठक में पॉलिसी रेट में कोई कटौती ना करने का फैसला लिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मलहोत्रा ने एमपीसी के फैसलों  के बारे में बताया  कि  सर्वसम्मति से रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा गया है। यानी यह 5.5 पर्सेंट पर स्थिर रहेगा। इससे सस्ते लोन ईएमआई कम होने का इंतज़ार करना पड़ेगा।

लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) के तहत स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) दर 5.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही है, और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “अगस्त मौद्रिक नीति के बाद से विकास-मुद्रास्फीति की गतिशीलता बदल गई है। जीएसटी में व्यवस्थित सुधार से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण का असर पड़ेगा। उच्च टैरिफ से निर्यात विकास में मंदी आने की संभावना है।”

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “हाल के महीनों में मुद्रास्फीति की समग्र संभावना काफी कमजोर हुई है। मुख्य मुद्रास्फीति को जून में 3.7% से घटाकर अगस्त में 3.1% और हाल ही में और घटाकर 2.6% कर दिया गया है।” भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025-2026 के लिए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया, जो पहले Q2 और Q3 के साथ 1.8% और Q4 4% पर अनुमानित था। आने वाले साल 2026-27 की पहली तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 4.5% रहने का अनुमान है।

जीडीपी ग्रोथ  को लेकर पर क्या बोले आरबीआई गवर्नर

RBI गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी बताया कि वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का इस साल का अनुमान पहले के 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया गया है, जो अपेक्षा से अधिक मजबूत आर्थिक प्रदर्शन को दर्शाता है।क्या थी उम्मीद अधिकांश अर्थशास्त्री और शोध फर्म मान रहे हैं कि आरबीआइ इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा और इसे 5.50% पर ही बनाए रखेगा। वहीं वो अपनी नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ ही रखेगा।

कटौती नहीं होने की मुख्य वजहें

मजबूत आर्थिक विकास: देश की जीडीपी ग्रोथ पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में 7.8% रही, जो कि अपेक्षा से अच्छी है । ऐसे मजबूत विकास के माहौल में तत्काल दरों में कटौती की कोई तत्काल जरूरत नहीं दिखती।

अनिश्चित वैश्विक हालात: भारत पर टैरिफ और H-1B वीजा फीस में वृद्धि जैसे कदमों से उपजी अनिश्चितता के असर का आकलन करने के लिए आरबीआई रुक सकता है।

मुद्रास्फीति में हालिया उछाल: अगस्त 2025 में महंगाई दर बढ़कर 2.07% हो गई। हालांकि, यह आरबीआई के 4% लक्ष्य के नीचे है, लेकिन यह पिछले दस महीनों में पहली बार बढ़ी है। ऐसे में, केंद्रीय बैंक सतर्कता बरतना चाह सकता है। जब कि कुछ का मानना है कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहने और हाल में जीएसटी दरों में कटौती से कीमतों पर दबाव और कम होने की उम्मीद के चलते, आरबीआई भविष्य में दरों में कटौती के लिए जगह देख सकता है।

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