नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण कर्ज की किस्त (ईएमआई) भुगतान में स्थगन यानी मोरेटोरियम की सुविधा 31 अगस्त को खत्म हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई लोन मोरेटोरियम को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।
हालांकि, बैंकों के कर्ज पर सबसे अधिक मोरेटोरियम खुदरा (रिटेल) क्षेत्र का जिसमें डिफॉल्ट की आशंका बढ़ सकती है। ऐसे में एनपीए और कोरोना संकट का सामना कर रहे बैंकों की मुसीबत और बढ़ सकती है।
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते गुरुवार को कहा था कि मोरेटोरियम योजना एक अस्थाई समाधान है। अब अगर छूट की अवधि को छह महीने से आगे बढ़ाया जाता है, तो इससे कर्ज लेने वाले ग्राहकों का व्यवहार प्रभावित हो सकता है। कोरोना महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए वित्तीय क्षेत्र में सुधार होना आवश्यक है। हालांकि, स्थितियां वैसी नहीं हैं जैसी दिखाई दे रही हैं।
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उनका कहना है कि सरकारी बैंकों में रिटेल लोन पर मोरेटोरिम भले ही 80 फीसदी हो लेकिन इसे कुल बैंकिंग क्षेत्र के लिहाज से देखा जाए तो एमएसएमई का मोरेटोरियम अनुपात ज्यादा परेशान करने वाला है। उनका कहना है कि कुल बैंकिंग क्षेत्र के मोरेटोरियम में रिटेल लोन का आंकड़ा 55 फीसदी है जबकि एमएसएमई का 65 फीसदी है। ऐसे में मुसीबत उससे बड़ी है जितनी दिखाई दे रही है।