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आज है हल षष्ठी व्रत, पुत्र की दीर्घायु के लिए पढ़े ये कथा

Hal Chhath

Hal Chhath

संतान प्राप्ती के साथ पुत्र की दीर्घायु के लिए किए जाने वाला हलषष्ठी व्रत या चंदन छठ व्रत (Hal Chhath ) पांच सितंबर को मनाया जाएगा। आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि इस बार यह पर्व सर्वार्थ सिद्ध योग में पड़ने से बेहद खास है। इस बार भोजन का मुहूर्त प्रातः लगभग 9:30 बजे से 12:35 के मध्य उत्तम रहेगा। दिन के समय सात तरह के अनाज का दान करना उत्तम रहेगा। वहीं, चंद्रमा उदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का समापन किया जाएगा।

हलछठ व्रत (Hal Chhath ) कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार, एक ग्वालिन गर्भवती थी। उसका प्रसव काल नजदीक था, लेकिन दूध-दही खराब न हो जाए, इसलिए वह उसको बेचने चल दी। कुछ दूर पहुंचने पर ही उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दिया।

उस दिन हल षष्ठी (Hal Chhath ) थी। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वह बच्चे को वहीं छोड़ दूध-दही बेचने चली गई। गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने गांव वालों ठग लिया। इससे व्रत करने वालों का व्रत भंग हो गया। इस पाप के कारण झरबेरी के नीचे स्थित पड़े उसके बच्चे को किसान का हल लग गया। दुखी किसान ने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और चला गया।

ग्वालिन लौटी तो बच्चे की ऐसी दशा देख कर उसे अपना पाप याद आ गया। उसने तत्काल प्रायश्चित किया और गांव में घूम कर अपनी ठगी की बात और उसके कारण खुद को मिली सजा के बारे में सबको बताया।

उसके सच बोलने पर सभी गांव की महिलाओं ने उसे क्षमा किया और आशीर्वाद दिया। इस प्रकार ग्वालिन जब लौट कर खेत के पास आई तो उसने देखा कि उसका मृत पुत्र तो खेल रहा था।

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