• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा इस कथा के बिना मानी जाती है अधूरी

Writer D by Writer D
12/12/2024
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
0
Shukra Pradosh

Shukra Pradosh

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

इस महीने का पहला प्रदोष व्रत 13 दिसंबर को रखा जाएगा। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती समेत पूरे शिव परिवार की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh) की पूजा बिना कथा पाठ के अधूरी मानी जाती है। इसलिए पढ़ें शुक्र प्रदोष (Shukra Pradosh) व्रत की कथा और शिव जी की आरती-

यहां पढें शुक्र प्रदोष (Shukra Pradosh) व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था। इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला।

ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आयी। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।

एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए, वैसा ही किया गया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी।

प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।

Tags: shukra pradoshShukra Pradosh Vrat
Previous Post

प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय, शिवजी की बरसेगी कृपा

Next Post

पॉजिटिव एनर्जी बढ़ाने के लिए करें ये उपाय, घर में होगा सुख-समृद्धि का वास

Writer D

Writer D

Related Posts

CM Dhami
Main Slider

केदारनाथ में एक के बाद एक हादसे… चारधाम यात्रा में हेलिकॉप्टर सेवा पर रोक, CM ने जारी किए कड़े निर्देश

15/06/2025
Seven killed in helicopter crash in Gaurikund area
Main Slider

केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा हेलिकॉप्टर क्रैश, पायलट सहित सात लोगों की मौत

15/06/2025
Father's Day
फैशन/शैली

आई लव यू डैडी से पापा कहते तक, ये गाने फादर्स डे को बनाते है और भी यादगार

15/06/2025
father's Day
फैशन/शैली

‘जो मजा पापा के कंधों पर झूलने में आता था…’, हार्ट टचिंग शायरियों के साथ पापा को विश करें फादर्स डे

15/06/2025
Pizza Paratha
खाना-खजाना

सबका दिल खुश कर देती है यह डिश, परोसते ही हो जाती फिनिश

15/06/2025
Next Post
Positive Energy

पॉजिटिव एनर्जी बढ़ाने के लिए करें ये उपाय, घर में होगा सुख-समृद्धि का वास

यह भी पढ़ें

Ukraine-Russia War: रूस के एयरस्ट्राइक से कांपा थियेटर, छिपे हुए थे 1000 से अधिक बच्चे-महिलाएं

17/03/2022

प्रदेश में प्रत्येक गरीब का अपना पक्का मकान होगा : शिवराज चौहान

26/09/2020
woman pushed

65 वर्षीय महिला का शव बरामद, इलाके में फैली सनसनी

17/11/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version