• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

Writer D by Writer D
26/11/2024
in धर्म, फैशन/शैली
0
Saphala Ekadashi

Saphala Ekadashi

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन विष्णु भगवान ने राक्षस मुरसुरा को मारा था। इसी दिन एकादशी माता की उत्पति हुई थी। जिस वजह से इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। जो श्रद्धालु एकादशी का व्रत शुरू करना चाहते हैं, उन्हें उत्पन्ना एकादशी से ही इसकी शुरुआत करनी चाहिए। इस व्रत से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है। इस साल 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) है। इस दिन प्रात: जल्दी स्नान करके ब्रह्म मुहूर्त में भगवान कृष्ण का पूजन किया जाता है। इसके बाद विष्णु जी एवं एकादशी माता की आराधना करते हैं। दीपदान और अन्नदान किया जाता है। इस दिन कई लोग निर्जला उपवास करते हैं। कथा सुनने-पढ़ने का बहुत महत्व है। व्रत कथा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है। आगे पढ़ें उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) व्रत कथा-

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) व्रत कथा-

सतयुग में मुर नाम का दैत्य उत्पन्न हुआ। वह बड़ा बलवान और भयानक था। उस प्रचंड दैत्य ने इंद्र, आदित्य, वसु, वायु, अग्नि आदि सभी देवताओं को पराजित करके भगा दिया। तब इंद्र सहित सभी देवताओं ने भयभीत होकर भगवान शिव से सारा वृत्तांत कहा और बोले हे कैलाशपति! मुर दैत्य से भयभीत होकर सब देवता मृत्यु लोक में फिर रहे हैं। तब भगवान शिव ने कहा, हे देवताओं! तीनों लोकों के स्वामी, भक्तों के दु:खों का नाश करने वाले भगवान विष्णु की शरण में जाओ।

वे ही तुम्हारे दु:खों को दूर कर सकते हैं। शिवजी के ऐसे वचन सुनकर सभी देवता क्षीरसागर में पहुंचे और कहा कि हे! मधुसूदन आप हमारी रक्षा करें। कहा कि हे भगवन, दैत्यों ने हमको जीतकर स्वर्ग से निकाल दिया है, आप उन दैत्यों से हम सबकी रक्षा करें। इंद्र के ऐसे वचन सुनकर भगवान विष्णु कहने लगे कि हे इंद्र, ऐसा मायावी दैत्य कौन है जिसने सब देवताओं को जीत लिया है, उसका नाम क्या है, उसमें कितना बल है और किसके आश्रय में है तथा उसका स्थान कहां है? यह सब मुझसे कहो। यह सुनकर इंद्र बोले, भगवन! प्राचीन समय में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस था उसके महापराक्रमी और लोकविख्यात मुर नाम का एक पुत्र हुआ। उसकी चंद्रावती नाम की नगरी है। उसी ने सब देवताओं को स्वर्ग से निकालकर वहां अपना अधिकार जमा लिया है। उसने इंद्र, अग्नि, वरुण, यम, वायु, ईश, चंद्रमा, नैऋत आदि सबके स्थान पर अधिकार कर लिया है। सूर्य बनकर स्वयं ही प्रकाश करता है। स्वयं ही मेघ बन बैठा है और सबसे अजेय है। हे असुर निकंदन! उस दुष्ट को मारकर देवताओं को अजेय बनाइए।

यह वचन सुनकर भगवान ने कहा- हे देवताओं, मैं शीघ्र ही उसका संहार करूंगा। तुम चंद्रावती नगरी जाओ। इस प्रकार कहकर भगवान सहित सभी देवताओं ने चंद्रावती नगरी की ओर प्रस्थान किया। उस समय दैत्य मुर सेना सहित युद्ध भूमि में गरज रहा था। जब स्वयं भगवान रणभूमि में आए तो दैत्य उन पर भी अस्त्र, शस्त्र, आयुध लेकर दौड़े तो विष्णु ने उन्हें सर्प के समान अपने बाणों से बींध डाला। बहुत-से दैत्य मारे गए। केवल मुर बचा रहा। वह अविचल भाव से भगवान के साथ युद्ध करता रहा। भगवान जो-जो भी तीक्ष्ण बाण चलाते वह उसके लिए पुष्प सिद्ध होता। उसका शरीर छिन्न-भिन्न हो गर्या ंकतु वह लगातार युद्ध करता रहा। दोनों के बीच मल्लयुद्ध भी हुआ। 10 हजार वर्ष तक उनका युद्ध चलता रहा लेकिन मुर नहीं हारा। थककर भगवान बद्रिकाश्रम चले गए। वहां हेमवती नामक सुंदर गुफा थी, उसमें विश्राम करने के लिए भगवान उसके अंदर प्रवेश कर गए। यह गुफा 12 योजन लंबी थी और उसका एक ही द्वार था। विष्णु भगवान वहां योगनिद्रा की गोद में सो गए।

मुर भी पीछे-पीछे आ गया और भगवान को सोया देखकर मारने को उद्यत हुआ, तभी भगवान के शरीर से उज्ज्वल, कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुई। देवी ने राक्षस मुर को ललकारा, युद्ध किया और उसे तत्काल मौत के घाट उतार दिया। श्री हरि जब योगनिद्रा की गोद से उठे, तो सब बातों को जानकर उस देवी से कहा कि आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है, अत: आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजित होंगी। आपके भक्त वही होंगे, जो मेरे भक्त हैं।

Tags: Utpanna EkadashiUtpanna Ekadashi Date
Previous Post

उत्पन्ना एकादशी पर करें राशिनुसार ये उपाय, बरसेगी श्री हरि कृपा

Next Post

उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु को अर्पित करें ये भोग, करें इस मंत्र का जाप

Writer D

Writer D

Related Posts

Brinjal
Main Slider

अरे! बैंगन में कीड़े हैं… खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

30/07/2025
Balushahi
खाना-खजाना

रक्षाबंधन पर बनाएं हलवाई जैसी बालूशाही, फॉलो करें ये टेस्टी रेसिपी

30/07/2025
Fridge
Main Slider

फ्रिज में जम गई है गन्दगी, इन हैक्स से मिनटों में चमक जाएगा आपका रेफ्रीजिरेटर

30/07/2025
Cracked Heels
Main Slider

फटी एड़ियों पर आजमाएं ये ब्यूटी हैक्स, कोमल और सुंदर हो जाएंगे पैर

30/07/2025
Sawan
धर्म

सावन के तीसरे सोमवार पर बरसेगा महादेव का आशीर्वाद, इन शुभ योग में करें पूजा

30/07/2025
Next Post
Apara Ekadashi

उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु को अर्पित करें ये भोग, करें इस मंत्र का जाप

यह भी पढ़ें

rahul gandi

देश को संकट मे डालकर “शुतुरमुर्ग” बन जाती है मोदी सरकार-राहुल

07/09/2020
Road Accident

सड़क हादसे में एक परिवार के तीन सदस्यों समेत चार की मौत, तीन घायल

28/02/2023
AP Dhillon

सलमान के बाद अब इस सिंगर के घर के बाहर फायरिंग, लॉरेंस-रोहित गैंग ने ली जिम्मेदारी

02/09/2024
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version