हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के लिए नियम होते हैं। इन नियमों के हिसाब से ही देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। ऐसा ही एक नियम है कि सुबह स्नान के बाद सबसे पहले अर्घ्य ( Arghya) देना होता है। यह अर्घ्य सूर्य देवता को, तुलसी जी को या फिर किसी भी देवता को दिया जा सकता है।
हिंदू धर्म में अर्घ्य ( Arghya) देने के भी कई नियम हैं। हम हमेशा अर्घ्य खड़े होकर ही देते हैं, क्यों कि बैठकर अर्घ्य देने की मनाही है। ऐसे में क्या हमें पता है कि इसके पीछे के कारण क्या हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने विस्तार से बताया कि अर्घ्य देते समय खड़े रहने के पीछे के कारण क्या हैं।
खड़े होकर अर्घ्य ( Arghya) देना का कारण
>> शास्त्रों में कहा गया है कि हमें पूजा करते समय बैठ जाना चाहिए। वहीं अर्घ्य खड़े होकर ही देना चाहिए, क्यों कि ऐसा करने से हमारे सातों चक्र जागृत हो जाते हैं। यह चक्र हमें दिव्यता की ओर ले जाते हैं।
>> दिव्यता की ओर जाने से नकारात्मकता शरीर से दूर होती है। हम सकारात्मकता की ओर बढ़ जाते हैं। इसके पीछे वैसे एक ओर कारण है कि बैठकर अगर हम अर्घ्य देंगे तो धरती पर जल के गिरने के बाद वह हमारे पैरों को छुएगा। यह अर्घ्य की पवित्रता को खत्म कर देगा।
>> शास्त्रों में कहा गया है कि हम जब भी अर्घ्य दें तो हमारा हाथ हमारे सिर पर ही होना चाहिए। ऐसे में हमारी मानसिक परेशानियां दूर हो सकती हैं। हमारा मानसिक तनाव कम हो जाएगा।