सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के पहले भगवान गणेश (Ganesh) की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की आराधना के लिए बुधवार का दिन शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में बुध (Budh) ग्रह कमजोर होता है तो बुधवार को भगवान गणपति की उपासना के बारे में विस्तार से बताया गया है। भगवान गणेश और बुध देव की उपासना करने स्मरण शक्ति तेज होती है और जातक को जीवन में उच्च पद की प्राप्ति होती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, बुधवार को बुध स्तोत्र का पाठ करने के साथ-साथ बुध ग्रह कवच का भी पाठ करना चाहिए।
बुध स्तोत्र (Budh Stotra)
पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।
धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।
प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ।।
सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम ।।
उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।
सूर्यप्रियकरोविद्वान पीडां हरतु मे बुधं ।।
शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।
सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।
श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:, कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रजोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र:।।
अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।
अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।
गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।
केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।
कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।
गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।
एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ।।
बुध ग्रह कवच
बुधस्तु पुस्तकधरः कुंकुमस्य समद्दुतिः ।
पितांबरधरः पातु पितमाल्यानुलेपनः ।।
कटिं च पातु मे सौम्यः शिरोदेशं बुधस्तथा ।
नेत्रे ज्ञानमयः पातु श्रोत्रे पातु निशाप्रियः ।।
घ्राणं गंधप्रियः पातु जिह्वां विद्याप्रदो मम ।
कंठं पातु विधोः पुत्रो भुजा पुस्तकभूषणः।।
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं रोहिणीसुतः ।
नाभिं पातु सुराराध्यो मध्यं पातु खगेश्वरः ।।
जानुनी रौहिणेयश्च पातु जंघेSखिलप्रदः ।
पादौ मे बोधनः पातु पातु सौम्योSखिलं वपु ।।
एतद्धि कवचं दिव्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।
सर्व रोगप्रशमनं सर्व दुःखनिवारणम् ।।
आयुरारोग्यधनदं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् ।
यः पठेत् श्रुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ।।