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गुप्त नवरात्रि में जरूर करें इस चालीसा का पाठ, घर में आएगी सुख-शांति

Durga Chalisa

Durga Chalisa

साल में कुल चार बार नवरात्रि आती हैं, जिसमें गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) माघ और आषाढ़ माह में आती है। वहीं प्रत्यक्ष नवरात्रि चैत्र और आश्विन माह में आते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि को सबसे शुभ दिनों में से माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। खास तौर पर तंत्र विद्या में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए यह नवरात्र बहुत खास माने जाते हैं। इस दौरान मां दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) का पाठ करना बहुत ही शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के साभी दुख-दर्द दूर होते हैं और घर में सुख-शांति आती है।

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) का पाठ

॥दुर्गा चालीसा॥ (Durga Chalisa)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

शंकर अचरज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

॥ इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) का महत्व

धार्मिक मान्यात के अनुसार, दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) का पाठ करने से व्यक्ति पर मां दूर्गा की कृपा बनी रहती है। ऐसा में व्यक्ति के जीवन में आने वाले बड़े से बड़े संकट भी दूर हो सकते है। सच्चे मन से मां दूर्गा की पूजा के साथ पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

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