सनातन धर्म में मां दुर्गा को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। नवरात्रि के अवसर पर मां दुर्गा की की विशेष पूजा की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) 9 अप्रैल से शुरू होगी। मां दुर्गा की पूजा के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है। नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पहले दिन से दुर्गा सप्तशती पाठ की शुरुआत करनी चाहिए। पाठ के दौरान बातचीत न करें। पाठ करते समय सफाई का विशेष ध्यान दें। पाठ के दौरान ब्रम्हचर्य का पालन करें।
मां भगवती की महिमा
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए सबसे पहले नवार्ण मंत्र, कवच, इसके बाद कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ का आरंभ करना चाहिए। अगर आप इस तरह का पाठ करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होंगी। साथ ही मा दुर्गा प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा आप पर बरसाएंगी।
पाठ करने के बाद मां दुर्गा से क्षमा जरुर मांगें
दुर्गा सप्तशती पाठ के लिए एक अन्य विकल्प भी है। इस दूसरा विकल्प ये है कि एक,दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से 7 दिन में पूरा करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले और बाद में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ जरुर करना चाहिए। पाठ करने के बाद मां दुर्गा से क्षमा जरुर मांगें।
मां से मिले वरदान का विवरण है
दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय हैं, जिनको तीन चरित्रों में बांटा गया है। हर अध्याय में मां भगवती की महिमा और उनके रूपों के बारे में वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती का प्रथम चरित्र में मधु कैटभ वध कथा, मध्यम में महिषासुर का संहार और उत्तर चरित्र में शुम्भ-निशुम्भ वध और सुरथ एवं वैश्य देवी मां से मिले वरदान का विवरण है।
अगर संस्कृत भाषा में दुर्गा सप्तशती के पाठ का उच्चारण करने में कठिनाई हो रही हो तो इसे हिंदी में किया जा सकता है।