सीता नवमी (Sita Navami) का पर्व देश भर में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह राम नवमी के एक बाद मनाई जाती है। इस जानकी जयंती के नाम से भी जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन माता सीता धरती पर अवतरित हुई थी। माता सीता को जानकी, मैथिली, सिया आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती है। वहीं अगर इस दिन पूजा के माता सीता के इस स्रोत का पाठ और स्तुति की जाए, तो जल्द ही फल की प्राप्ति हो सकती है।
सीता नवमी (Sita Navami) कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 5 मई को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन 6 मई को सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस साल सीता नवमी (Sita Navami) का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा।
जानकी स्तोत्र
नीलनीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम्।
शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।
रामपाद-विनिवेशितेक्षणामङ्ग-कान्तिपरिभूत-हाटकाम्।
ताटकारि-परुषोक्ति-विक्लवां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
कुन्तलाकुल-कपोलमाननं, राहुवक्त्रग-सुधाकरद्युतिम्।
वाससा पिदधतीं हियाकुलां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम्।
तद्दहाङ्गमिति पावकं यतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
इन्द्ररुद्र-धनदाम्बुपालकै: सद्विमान-गणमास्थितैर्दिवि।
पुष्पवर्ष-मनुसंस्तुताङ्घ्रिकां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
संचयैर्दिविषदां विमानगैर्विस्मयाकुल-मनोऽभिवीक्षिताम्।
तेजसा पिदधतीं सदा दिशो भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
।।इति जानकीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
सीता नवमी (Sita Navami) का महत्व
हिंदू धर्म में राम नवमी के तरह सीता नवमी (Sita Navami) को भी बहुत महत्व पूर्ण माना जाता है। खास यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने के साथ व्रत का पालन करने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं माता सीता को पूजा में दिन श्रृंगार की सभी सामग्री अर्पित करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।