इंटर-बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में आज भारतीय मुद्रा ने 0.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82.19 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। मुद्रा बाजार में कामकाज शुरू होने के बाद रुपये की कमजोरी लगातार बढ़ती गई। थोड़ी ही देर में भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 0.5 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 82.33 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गई। बीच में एक बार रुपये के गिरने की गति में कुछ देर के लिए ब्रेक भी लगा था, लेकिन थोड़ी ही देर बाद रुपये में दोबारा गिरावट शुरू हो गई।
मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि रुपये के लिए डॉलर इंडेक्स की मजबूती पहले से ही सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, लेकिन पिछले 1 सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी से रुपये पर और भी अधिक दबाव बन गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गई है। सिर्फ इसी सप्ताह के कारोबार में कच्चे तेल की कीमत में करीब 11 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
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दरअसल, कच्चे तेल के उत्पादक देशों (ओपेक कंट्रीज) द्वारा तेल के उत्पादन में कटौती करने के फैसले के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत में तेजी का रुख बना हुआ है। माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत जल्दी ही 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक भी पहुंच सकती है। ऐसा होने पर मुद्रा बाजार में रुपये की कीमत पर दबाव और भी अधिक बन सकता है।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत के साथ ही डॉलर इंडेक्स की तेजी भी रुपये पर लगातार दबाव बनाए हुए है। डॉलर इंडेक्स में भी इस सप्ताह लगातार तेजी का रुख बना रहा है। डॉलर इंडेक्स 109.80 के स्तर से उछलकर 112.12 के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है, जिसकी वजह से डॉलर के मुकाबले रुपये समेत दुनियाभर की तमाम मुद्राएं गिरकर कारोबार कर रही हैं। मयंक मोहन का मानना है कि मौजूदा प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बीच अगर कच्चे तेल की कीमत का बढ़ना जारी रहा, तो भारतीय मुद्रा आने वाले दिनों में प्रति डॉलर 83 रुपये के स्तर को भी पार कर सकती है।