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योगी मंत्रिपरिषद के पुनर्गठन में कई नए चेहरों मिल सकता है मौका, हलचल तेज

सीएम योगी cm yogi

सीएम योगी

लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी मंत्रिपरिषद का जल्द पुनर्गठन कर सकते हैं। इसके पीछे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की आहट है। इसी को देखते हुए मंत्रिपरिषद में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। हाल ही में योगी कैबिनेट के दो मंत्रियों की कोरोना से मौत हो गई है। जिसके बाद इनके विभाग किसी को आवंटित नहीं किए गए हैं।

इन मंत्रियों के स्थान पर नए चेहरों को जगह मिल सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ मंत्री अपना विभाग बदलवाना चाहते हैं जबकि कुछ को उनकी असंतोषजनक परफॉर्मेंस की वजह से किनारे किया जा सकता है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विधायकों की नाराजगी कम करने के लिए उनके समायोजन पर भी पार्टी में उच्च स्तर पर माथापच्ची चल रही है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव होने में करीब डेढ़ साल बाकी है। हालांकि कोविड-19 के कारण इसमें कुछ वक्त लग सकता है, लेकिन सूत्रों की मानें तो स्थिति थोड़ी सामान्य होते ही मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन तय है। विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिपरिषद में 60 सदस्य हो सकते हैं। अभी तक 56 सदस्यीय मंत्रिपरिषद थी।

हाल ही में प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण व होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान की कोरोना से मृत्यु के बाद यह संख्या 54 रह गई है। मंत्रिपरिषद में छह स्थान रिक्त हैं। सूत्रों के  अनुसार कुछ मंत्री 75 साल की उम्र के आधार पर हटाए जा सकते हैं, जबकि कुछ मंत्रियों पर उनकी खराब परफॉर्मेंस के कारण तलवार लटक रही है। एक-दो चेहरों को मंत्रिपरिषद से हटाकर दूसरी भूमिका देने के संकेत हैं।

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ऐसे संकेत हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा असंतुष्ट विधायकों को समायोजन का तोहफा दे सकती है। कुछ को आयोग, बोर्ड व निगम में पद देकर उनकी नाराजगी दूर की जाएगी तो कुछ को भविष्य में मंत्रिपरिषद में मौका मिल सकता है। इसी के साथ मौजूदा पार्टी पदाधिकारियों में कुछ के पर कतरे जा सकते हैं, क्योंकि ये संगठन की अपेक्षा पर खरे नहीं उतर पाए हैं। इनकी जगह नए लोगों को मौका दिया जा सकता है।

बता दें कि पुलिस व प्रशासन के रवैये से बीते तीन-चार महीनों में विधायकों की नाराजगी जिस तरह सार्वजनिक हुई है, उसने पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। नेतृत्व को इस बात का अहसास है कि विधायकों की नाराजगी अकारण नहीं है। कुछ जगहों पर अधिकारियों ने जान-बूझकर जनप्रतिनिधियों को अपमानित करने वाले काम किए।

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भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि चिंता का प्रमुख कारण इन घटनाओं से पार्टी की अनुशासनात्मक छवि का दरकना है। ऐसे में विधायकों के सम्मान व महत्व का संदेश देना जरूरी हो गया है।

प्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक आयोग सहित अन्य कुछ संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों के पद रिक्त हैं। बीज विकास निगम सहित कुछ निगमों व बोर्डों में भी पद खाली हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष फागू चौहान बिहार के राज्यपाल बनाए जा चुके हैं। उनके राज्यपाल बनने के बाद से पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त है।

अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आयोग सहित कुछ अन्य संस्थाओं में उपाध्यक्षों व सदस्यों का कार्यकाल भी पूरा होने वाला है। इन पर भाजपा के लोगों को समायोजित किया जा सकता है।

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