नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उत्तरपूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों से संबंधित मामलों में महज वकील बदलने के कारण बार-बार जमानत याचिका दायर करने पर बुधवार को नाखुशी जताई है। कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह की सभी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की जाती है तो काम करना मुश्किल होगा।
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अदालत मोहम्मद नईम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसने न्यू उस्मानपुर इलाके में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े मामले में इस आधार पर जमानत का आग्रह किया कि पहले की जमानत याचिका दायर करने के समय पूर्व वकील ने सभी बिंदुओं पर बहस नहीं की थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि अदालत नईम के वकील के इस तर्क से नाखुश है कि पहले के वकील ने सही तरीके से जमानत याचिका पर जिरह नहीं की थी। इसके बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी। अदालत ने इससे पहले 27 जुलाई को मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की जान चली गई थी। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार, भजनपुरा, शिव विहार, जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग समेत कई इलाकों में दो समुदायों के बीच टकराव के कारण हुई हिंसा में 53 से अधिक लोगों की जानें गयी और 200 से अधिक जख्मी हो गए थे।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर दो समुदायों के बीच टकराव के कारण दिल्ली में हिंसा की घटनाएं हुई, हालांकि पुलिस मामले की जांच में जुटी है। बताया जाता है कि मामले में तकरीबन 250 प्राथमिकियां दर्ज की गई और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया है।