फर्रूखाबाद। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारण द्वारा पेश किये गए बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अर्थशास्त्री डा. एम.एस. सिद्दीकी ने कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था कोरोना व लॉकडाउन के कारण मंदी के बीच मंहगाई के चपेट में आ गई। बजट द्वारा इस स्थिति से निपटने की चेष्टा वित्त मंत्री द्वारा की गई।
उन्होने कहा कि बजट का मुख्य फोकस मांग व खपत बढ़ाने पर केन्द्रित है। इन्फ्रास्टेक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया है। क्योकि इन्फ्रास्ट्रेक्चर पर खर्च किए बगैर नये रोजगार व संपदा का सृजन संभव नहीं है। डा. सिद्दीकी का मानना है कि अर्थव्यवस्था में व्याप्त मंदी संरचनात्मक स्भाव की नहीं है। अतः बजट इसके प्रभाव को नियंत्रित करने में समक्ष है। खाद्य सुरक्षा व पोषण को बढ़ाने हेतु कृषि विकास में तेजी लाने पर बजट में जोर दिया गया है। बजट में सूक्ष लघु एवं मध्यम उद्योग एम.एस.एम.ई . आत्मनिर्भर बनाने पर पूरा ध्यान रखा गया है क्योकि जीडीपी में इसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है इसके अलावा रोजगार सृजन में भी विशेष भूमिका रहती है।
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बजट से नवनिर्माण को प्रोत्साहन मिलने की उम्मींद है। तथापि डा. सिद्दीकी का मनना है कि जीडीपी में 7.7 फीसदी की गिरावट के बावजूद आगामी वर्ष में 11 फीसदी से अधिक वृद्धि का आंकलन करना चुनौतिपूर्ण है वैसे बजट प्रस्तावों में कोरोना काल की चुनौतियों को अवसर पर बदलने की इच्छाशक्ति जरूर परिलक्षित हो रही है। पेंशनधारी 75 वर्ष के लोगों को दी गई राहत स्वागत योग्य है। किन्तु अन्य करदाताओं को निराशा हुई है। बजट में 6.8 फीसदी वित्तीय घाटा इस बात का प्रमाण है कि सरकार खर्च को तैयार रहे। पूंजीगतव्यय में वृद्धि स्वागत योग्य है क्योंकि इस रोजगार का सृजन होगा।
सेवानिवृत बैंक अधिकारी मुकेश गुप्ता का कहना है कि भारतवर्ष को आत्मनिर्भर बनाने के अच्छे प्रयास आम बजट में किए गए मध्य वर्गीय और पेंशनरों के लिये यह बजट मायूसी छोड़ रहा है बजट में जहां एक ओर ढ़ांचागत विकास में होने वाले पूंजीगत खर्च को 34 प्रतिशत बढ़ाकर तथा सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम के क्षेत्र केे लिये दो गुना आवंटन करके देश में रोजगार बढ़ाने की कोशिश प्रतीत हो रही है वहीं दूसरी तरफ 16.5 लाख करोड़ रूपये के सस्ते कृषि कर्ज किसानों को देने की योजना, कृषि मंडियो को मजबूती देकर ग्रामीण विकास के साथ पुश धन, डेयरी, मत्स्य क्षेत्र के तफर विशेष ध्यान देकर कृषि किसान और गांव को प्राथमिकता दी गई।
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कोरोेना वैश्विक महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र के अधिक आवंटन उचित है। उन्होने कहा कि बजट में सरकार को मुख्य रूप से मांग बढ़ाने के उपायों पर जोर देना चाहिए था। इन्फ्रास्टेक्टचर पर खर्च आधा करके इस प्रकार बजे हुए धन को सीधे देश के प्रत्येक नागरिक के बैंक खातें में प्रतिमाह स्थानांतरित करके लोगों के हाथों में पैसा पहुंचाकर उनकी क्रय शक्ति बढ़ानी थी ताकि लोगों द्वारा बाजार में मांग में तेजी लाई सके और बढ़ी मांग की पूर्ति के लिये स्वतः उत्पादन बढ़ता और इससे अंत देश के विकास के साथ-साथ रोजगार भी बढ़ते। सरकार द्वारा कुछ बैंको के निजीकरण की बात भी समझ में नहीं आती है।
पूंजीपतियो के हाथ लेकर बैंको का राष्ट्रीयकरण इस लिये किया गया था कि आम जनता बैंक की सेवाओं का लाभ उठा सके। लेकिन फिर बैंको के निजीकरण से साबित होता है कि सरकार पूंजीपतियों को लाभ देना चाहती है।
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व्यापारी नेता संजय गर्ग ने कहा कि बजट आम जनमानस को ध्यान मे रखकर पेश किया गया हैं यह बजट वस्त्र एवं होटल इंस्डट्री को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा। युवाओं को विशेष तरजीह दी गई है। कपड़ा इंस्डट्री व होटल व्यवसाये को जो सरकार द्वारा पैकेज दिया गया है वह सराहनीय है जिससे व्यापारी में सहुलियत मिलेगी कुल मिलाकर बजट व्यापारीहित का बजट है।