लखीमपुर में केंद्रीय मंत्री के बयान के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान मचे बवाल से फैली हिंसा की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
पिछले महीने के आखिर में न्यायिक सेवा से रिटायर होने वाले जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव अगले दो महीनों में इस मामले की जांच कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। लखीमपुर में हिंसा की घटनाओं में 4 किसानों की मौत के साथ-साथ बीजेपी के 4 कार्यकर्ताओं और एक स्थानीय पत्रकार की भी जान गई थी। इसको लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार से जांच की मांग कर रहे थे।
लखीमपुर घटना की जांच करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव साल 2018 में उच्च न्यायालय में नियुक्त किए गए थे। वे पिछले महीने 29 सितंबर को ही अपनी सेवा से रिटायर हुए हैं। जस्टिस श्रीवास्तव को 22 नवंबर 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्ति मिली थी। इसके 2 साल बाद 20 नवंबर 2020 को उन्होंने इस अदालत के स्थाई जज के तौर पर शपथ ली थी।
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उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा पीसीएस-जे के जरिए साल 1996 में न्यायिक पदाधिकारी बनने वाले जस्टिस प्रदीप श्रीवास्तव को लखीमपुर कांड की जांच का काम अगले दो महीनों में पूरा करने का जिम्मा मिला है। अपनी सेवा के दौरान वे वर्ष 2002 में हायर ज्यूडिशल सर्विसेज में प्रमोट किए गए थे। 2015 में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज के तौर पर उनकी पदोन्नति हुई थी।
गौरतलब है कि लखीमपुर में भाजपा नेता और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बयान के विरोध में किसान प्रदर्शन करने जमा हुए थे। आरोप है कि इसी दौरान केंद्रीय मंत्री के बेटे ने किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, जिसके कारण 4 किसानों की मौत हो गई।
इसके बाद घटना के विरोध में उग्र भीड़ के ऊपर बीजेपी के 4 कार्यकर्ताओं को मार डालने का आरोप लगा है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री के बेटे के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है।