मामून। पठानकोट के गांव गोसाईपुर के सरदार अवतार सिंह के बनाए गुड़ की धूम है। अवतार अपने खेतों में गन्ने की खेती करते हैं और फिर खुद ही उससे गुड़ बनाकर बेचते हैं। लोगों को उनके गुड़ का स्वाद इतना भाता है कि सारा कुछ समय में ही बिक जाता है और लोगों की डिमांड खत्म नहीं होती। अवतार सिंह मलेशिया में अच्छी खासी नौकरी करते थे, लेकिन उनको यह रास नही आई और गांव लौट आए। यहां लौट कर उन्होंने स्मार्ट खेती और स्मार्ट कारोबार करना शुरू किया। इसके बाद बन गए गुड़ के ‘सौदागर’।
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अवतार ने गांव आकर अपने खेतों में गन्ने की खेती शुरू की और उससे गुड़ बनाकर बेचने का काम शुरू किया। आज वह दूसरों के के साथ खुद की जिंदगी की जिंदगी में मिठास घोल रहे हैं। पठानकोट से सटे गांव गोसाईपुर वह अब गुड़ के कारोबार में जाना पहचाना नाम हो गए हैं। उनके देसी गुड़ की मांग पठानकोट ही नहीं बल्कि पंजाब, अन्य राज्यों और विदेश में भी है।
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अवतार सिंह ने मलेशिया में आठ वर्ष नौकरी की। वह एक निजी कंपनी में काम थे, लेकिन वहां उन्हें काम व लाइफस्टाइल अच्छा नहीं लगा। ऐसे में खुद के कारोबार करने की इच्छा जागी, हालांकि यह उनके लिए आसान नहीं था। परिवार की जिम्मेदारी व नए काम को शुरू करने में सफलता को लेकर भी संशय था, लेकिन वह मजबूत इरादों के साथ गोसाईपुर आए और गन्ने की खेती व गुड़ के कारोबार में रम गए।
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गन्ने के लिहाज से पठानकोट की जमीन अच्छी मानी जाती है। ऐसे में अवतार सिंह ने भी गांव आकर अपनी चार किल्ले की जमीन में गन्ने की खेती शुरू की। इसके साथ ही खुद गन्ने के रस से गुड़ बनाने का कार्य करने लगे। आज वह रोज डेढ़ क्विंटल गुड तैयार कर रहे हैं और यह हाथोंहाथ बिक जाता है। स्थिति है कि उनके पास कई ग्राहक बिना गुड़ लिए वापस लौटते हैं। इस सीजन में अब तक करीब पांच लाख रुपये की आय हो चुकी है। उन्होंने चार लोगों को रोजगार भी दिया है।