1 रु गुरु दक्षिणा लेकर सैकड़ों स्टूडेंट्स को इंजीनियर बनाने वाले देश के प्रसिद्ध शिक्षक आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) और पटना के गुरु रहमान (Rahman Sir) की प्रसिद्धी क्यों है पूरे देश में, आरके श्रीवास्तव और गुरु रहमान के द्वारा किए जा रहे अद्भूत शैक्षणिक और समाजिक कार्यों से नई पीढी को सीखने की जरुरत है। कोई 1 रुपए गुरु दक्षिणा में दे रहा शिक्षा तो कोई 11 रुपए में, आइए जानते हैं इनके बारे में
गुरु रहमान:
11 रुपये गुरु दक्षिणा लेते है गुरु रहमान
पटना के नया टोला में साल 1994 से चल रहे अदम्य अदिति गुरुकुल (Patna ke Naya Tola adamya aditi gurukul,) के नाम से मशहूर कोचिंग संस्थान के संचालक रहमान हैं जिन्हें प्यार से छात्र गुरु रहमान के नाम से पुकारते हैं, गुरुकुल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां अन्य कोचिंग संस्थानों की तरह फीस के नाम पर भारी-भरकम रकम की वसूली नहीं की जाती, बल्कि छात्र-छात्राओं से गुरु दक्षिणा के नाम पर महज 11 रुपये लिए जाते हैं। 11 से बढ़कर 21 या फिर 51 रुपये फीस देकर ही गुरुकुल से अब तक ना जाने कितने छात्र-छात्राओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की परीक्षाओं में सफलता हासिल की है1994 में जब बिहार में चार हजार दरोगी की बहाली के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई थी तो उस परीक्षा में गुरुकुल से पढ़ाई करने वाले 1100 छात्रों ने सफलता हासिल की थी।
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आरके श्रीवास्तव:
1 रुपया गुरु दक्षिणा वाले मैथेमैटिक्स गुरु” आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस लंदन, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस, गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स मे भी दर्ज हो चुका है । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की भी प्रशंसा कर चुके है । अभी तक 540 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके हैं इंजीनियर
आटो रिक्शा चलाकर कभी परिवार का होता था भरण- पोषण
आईआईटी, एनआईटी सहित अन्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी करवाने वाले आरके श्रीवास्तव ने सैकङो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स के सपने को पंख लगाया।आरके श्रीवास्तव पिछले कई सालों से गरीब बच्चों को 1 रुपया गुरु दक्षिणा में शिक्षा देकर उन्हें आईआईटी, एनआईटी,बीसीईसीई सहित देश के अन्य प्रतिस्ठित प्रवेश परीक्षाओ में सफलता दिलाते रहे हैं।
आरके श्रीवास्तव को उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिये वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस के अलावा दर्जनो अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।हालांकि उनकी इस सफलता के पीछे संघर्ष भी लंबा है,यह साधारण आदमी कई गरीब बच्चों का जीवन सवार चुके है और आगे यह काम जारी भी है ।
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आरके श्रीवास्तव का जन्म बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज में हुआ था, स्कूल के दिनों से ही उन्हें मैथ से काफी लगाव रहा है। पिताजी के बचपन मे साथ छोड इस दुनिया से चले जाने के बाद आर्थिक तंगी की वजह से सरकारी शैक्षणिक संस्थाओ से पढ़ाई करना पड़ा। पैसों की तंगी के चलते आरके श्रीवास्तव के बड़े भाई ( जो अब इस दुनिया मे नही है) ने दिनभर के आटो रिक्शा से प्राप्त भाड़े से परिवार का भरण पोषण करना प्रारंभ किया।
क्या है 1 रुपया गुरु दक्षिणा वाले गुरु की शैक्षणिक कार्यशैली?
आरके श्रीवास्तव अपने शिक्षा के दौरान टीबी की बिमारी के चलते नही दे पाये थे आईआईटी प्रवेश परीक्षा, टीबी की बिमारी के चलते आईआईटीयन न बनने की टीस ने दिलाया सैंकड़ों गरीब स्टूडेंट्स के सपने को पंख।
टीबी की बिमारी के ईलाज के दौरान आरके श्रीवास्तव ने अपने गाँव बिक्रमगंज मे मैथमैटिक्स पढाना शुरू किया था। जहां वह साधारण फीस पर बच्चों को एंट्रेंस एग्जाम के लिए तैयार करते थे। कम फीस होने के बावजूद कुछ बच्चे यहां एडमिशन नहीं ले पाते थे। जिसके बाद आरके श्रीवास्तव ने ” 1 रुपया गुरु दक्षिणा” प्रारुप वाले शैक्षणिक कार्यशैली की शुरुआत किया।
“1 रुपया गुरु दक्षिणा” एक एजुकेशनल प्रोग्राम है, जहां गरीब और होनहार बच्चों को 1 रुपया फ़ी लेकर आईआईटी, एनआईटी के लिए कोचिंग दी जाती है। जो स्टूडेंट्स 1 रुपया फ़ी भी देने योग्य नही होते है उन्हे निःशुल्क शिक्षा दिया जाता है जब वे सफल होकर नौकरी करने लगते है उसके बाद वे आकर अपने गुरु को उनका गुरु दक्षिणा 1 रुपया जरुर देते है । स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने के लिये आरके श्रीवास्तव का स्पैशल गणित का लगातार 12 घंटे का नाइट क्लासेज अभियान देश मे काफी लोकप्रिय है । जिस दिन आरके श्रीवास्तव पूरी रात लगतार 12 घंटे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाने के लिये बुलाते है उस दिन उनके खाने की व्यवस्था भी होती है। बच्चों के लिए आरके श्रीवास्तव की मां आरती देवी खाना बनाती हैं